रामदयालु सिंह महाविद्यालय में भारतीय दार्शनिक दिवस एवं बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में “भारतीय दर्शन में ज्ञान का स्वरूप” विषय पर व्याख्यान आयोजित

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १४ मई
रामदयालु सिंह महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में भारतीय दार्शनिक दिवस एवं बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में “भारतीय दर्शन में ज्ञान का स्वरूप” विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में बीआरएबीयू के महाविद्यालय निरीक्षक सह स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग के आचार्य प्रो.राजीव कुमार ने कहा कि भारतीय दर्शन हमें प्रज्ञावान बनाती है। उन्होंने बताया कि प्रज्ञा एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो ज्ञान समझ और अंतर्दृष्टि के माध्यम से वास्तविकता की गहरी समझ प्राप्त करने में मदद करती है। प्रज्ञा के माध्यम से व्यक्ति सच्चाई की गहराई में उतर सकता है और अपने आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकता है। दर्शन और ज्ञान के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान को चेतना से जोड़कर देखा जाना चाहिए और ज्ञान ही आत्मा का मूल तत्व है। मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ.सरोज कुमार वर्मा ने कहा कि भारतीय दर्शन में ज्ञान समन्वयवादी है। सत्य ज्ञान के स्वरूप को केवल तात्विक चिंतन तक सीमित नहीं करता बल्कि यह जीवन के सभी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्या डॉ.अनिता सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि दर्शन मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दर्शन अपने अस्तित्व, ज्ञान, नैतिकता और ब्रह्मांड की प्रकृति के बारे में गहराई से सोचने और समझने में मदद करता है। यह तर्क के माध्यम से जटिल प्रश्नों का उत्तर खोजने में भी मदद करता है। विषय प्रवेश कराते हुए दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्षा डॉ.अनुराधा पाठक ने कहा कि भारतीय दर्शन ज्ञान की एक व्यापक प्रणाली है, जो सत्य, अस्तित्व और मानव जीवन के अर्थ के बारे में मूलभूत प्रश्नों को संबोधित करती है। कार्यक्रम में डॉ.सत्येंद्र प्रसाद सिंह, डॉ.रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ.नीलिमा झा, डॉ.संजय कुमार सुमन, डॉ.राजीव कुमार, डॉ.पूनम कुमारी सिंह, डॉ.रजनीकांत पांडे, डॉ.आयशा जमाल, डॉ.आनंद प्रकाश दुबे, डॉ.नीरज मिश्रा, डॉ.मंजरी आनंद, डॉ.देवेंद्र प्रताप तिवारी, डॉ.सौरभ राज, डॉ.कृतिका वर्मा, डॉ.आरती मित्रा, डॉ.ललित किशोर आदि ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ.स्नेहलता और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.मंजरी आनंद ने किया।