जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि नाली साफ करने वाले, ठेला चलाने वाले, झोंपड़ी में रहने वाले किस जाति के कितनें लोग हैं- तेजस्वी प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
बौद्धिक-वैचारिक हस्तक्षेप का स्वतंत्र मंच 'जागृत' के बैनर तले "बिहार में जातीय गणना एवं आरक्षण की सीमा: समाज और सरकार की भूमिका विषयक एकदिवसीय सेमिनार आयोजित

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १८ मई
इस देश में जाति का सवाल सारे सवालों से ऊपर है। जब जाति का सवाल सामने आता है तो उनकी चेतना एक अलग प्रतिक्रिया देती है। ये बातें चिंतक-लेखक व जन मीडिया के संपादक डॉ.अनिल चमड़िया ने मुजफ्फरपुर क्लब के भव्य सभागार में बौद्धिक-वैचारिक हस्तक्षेप का स्वतंत्र मंच ‘जागृत’ के बैनर तले आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में कहीं। उन्होंने कहा कि यह नैरेटिव बनाया जाता है कि जाति गणना से देश टूट जाएगा, जो पूरी तरह तथ्यहीन बातें हैं। यदि सरकार ने आज जाति जनगणना कराने का फैसला लिया है, तो यह आपकी एकजुटता व ताकत की जीत है। अनिल चमड़िया ने 27% की सीमा पर सवाल उठाते हुए इसे 65 प्रतिशत तक की सीमा तक बढ़ाने की वकालत की। तमिलनाडु 65% से अधिक आरक्षण दे रहा है। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने सेमिनार का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य वक्ता कहा कि जब हम आरक्षण की बात करते हैं तो हम 90% शोषित वर्ग की बात करते हैं। लेकिन जब शोषित-वंचित वर्ग के लोगों का आरक्षण निजीकरण करके छीना जाता है, तो दलित-पिछड़ों के मन में गुस्सा क्यों नहीं आता है, यह आपको सोचना होगा। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने जाति गणना करा कर आरक्षण की सीमा 65% की, लेकिन एनडीए की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहुंच कर एवं गणना के अनुरूप बजट नहीं बना कर अपनी मंशा साफ कर दी है। तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि नाली साफ करने वाले, ठेला चलाने वाले, झोंपड़ी में रहने वाले किस जाति के लोग हैं? मेरी सरकार बनी तो जाति गणना के अनुरूप बजट बना कर जरूरतमंदों को सशक्त बनाएंगे। राज्यसभा सांसद डॉ.संजय यादव ने कहा कि सरकारी नौकरियां तो खत्म की ही जा रही है, प्राइवेट सेक्टर में भी हमारी नगण्य हिस्सेदारी है। अब हमें इससे आगे की लड़ाई लड़नी है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए हर क्षेत्र में बिहार के पिछड़ेपन के लिए वर्तमान सरकार को कठघरे में खड़ा किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के प्रो.जीतेंद्र मीणा ने देशभर में जातीय उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये कौन लोग हैं जो कहते हैं कि जातीय गणना से समाज बंट जाएगा। हिंदू धर्म कमजोर हो जाएगा। उन्हें पहचानिए और सोचिए कि ऐसा क्यों कह रहे हैं? जब एससी-एसटी की गणना से समाज नहीं बंटा, तो ओबीसी की गणना से समाज कैसे बंटेगा, यह बड़ा सवाल है। दरअसल जब-जब आपकी जरूरत पड़ती है, तब-तब आपकी हाथों में लाठी व तलवार थमा दिया जाता है, ताकि आप अपने जाति गणना व आरक्षण के मूल मुद्दों से भटक जाएं। नागालैंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो.दीपक भास्कर ने कहा कि हम बहुजनों को राम की चिंता अधिक है, रमुआ की चिंता नहीं है। जिस दिन हम अपने रमुआ की चिंता करने लगेंगे, हम मजबूत हो जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जाति गणना ‘सत्य की खोज’ है। यदि हम एससी-एसटी, ओबीसी के लोग एकजुट नहीं हुए, तो खत्म हो जाएंगे। डॉ.भास्कर ने कहा कि जंगलराज की भ्रामक बातें फैलाई जाती है। हम पुरजोर तरीके से कहते हैं कि हां, हम जंगलराज के लाभार्थी हैं। मैंने एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक है ‘हमें जंगलराज क्यों जरूरी है?’। इस मौके पर पूर्व सांसद अर्जुन राय, पूर्व कुलपति डॉ.अमरेंद्र नारायण यादव, संरक्षक प्रो.विजय कुमार जायसवाल, सह-संयोजक गोपी किशन, डॉ.ललित किशोर, डॉ.सुबलाल पासवान, डॉ.अविनाश कुमार, डॉ.एम.एन रजवी, डॉ.अनिता कुमारी, डॉ.हरिशंकर भारती, डॉ.प्रवीण चंद्रा, डॉ.संतोष सारंग, डॉ.विष्णुदेव यादव, डॉ.शिवेंद्र मौर्य, रामनरेश पंडित, मधुरेश, डॉ.पूनम कुमारी, अमित कुमार आदि मौजूद थे। विषय प्रवेश कार्यक्रम संयोजक प्रो.संजय कुमार सुमन ने तथा अध्यक्षता प्रो.विजय कुमार ने एवं संचालन डॉ.सुशांत कुमार ने किया।