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“भारतीय स्वाधीनता के लिए संघर्षरत संग्रामी और नेताओं के योगदान का इतिहास : एक पुनर्विचार” विषय पर संगोष्ठी आयोजित

इतिहास के लेखन में कृषि, भौगोलिक विविधता और विज्ञान को शामिल करने की जरुरत- प्रो.दिनेश चंद्र राय

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १५ मई

बाबा साहेब भीमराव बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग और काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के संयुक्त तत्वाधान में  “भारतीय स्वाधीनता के लिए संघर्षरत संग्रामी और नेताओं के योगदान का इतिहास : एक पुनर्विचार” विषय  पर संगोष्ठी का आयोजन  सीनेट हॉल में किया गया।  संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने स्थानीय इतिहास लेखन के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्र के तासीर के अनुसार से लेखन पर जोर दिया। उन्होंने इतिहास के लेखन में  कृषि, भौगोलिक विविधता और विज्ञान को शामिल करने  की जरुरत पर बल दिया। रबीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता के प्रो.हितेंद्र पटेल ने मुख्य वक्ता के रूप में साहित्यिक  स्रोतों के जरिये गाओं, कस्बों और मुहल्लों के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को उजागर करने के जरुरत पर बल दिया। विशिष्ट वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रो. जे. एन. सिन्हा ने स्वतंत्रता आंदोलन के क्षेत्रीय नायकों और उपेक्षित आंदोलनों को इतिहास की मुख्यधारा में लाने के महत्व को रेखांकित किया और हुस्सेपुर राज के फ़तेह बहादुर शाही  के ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष  को साझा किया। इस अवसर पर बाबा साहेब भीमराव  बिहार विश्वविद्यालय और काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थांन, पटना के बीच अकादमिक उद्देशय से एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर भी हस्ताक्षर किया गया।  इस अवसर पर प्रॉक्टर प्रो.बी. एस. राय, प्रो.प्रभाकर प्रसाद सिंह,  प्रो.अजीत कुमार, प्रो.पंकज कुमार राय, डॉ.अर्चना पांडेय, डॉ.दिलीप कुमार, डॉ.अमर बहादुर  शुक्ला, डॉ.अमानुल्लाह, डॉ.ललित किशोर शोधार्थी हिमांशु, अन्नू, मणिरंजन, निशांत, विशाल, बाबुल, खुशबू, पूजा समेत बड़ी संख्या में शोधार्थी सहित छात्र-छात्राएं शामिल रहे। संगोष्ठी के दौरान विभागाध्यक्षा प्रो.रेणु कुमारी ने स्वागत भाषण, डॉ.गौतम चंद्रा ने विषय प्रवेश, धन्यवाद ज्ञापन डॉ.शिवेश कुमार और डॉ.अंशु त्यागी ने मंच संचालन किया।

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