अंबेडकर जयंती आयोजन समिति, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के तत्वावधान में “आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ.अंबेडकर का योगदान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित
डॉ.अंबेडकर की जीवन यात्रा भारतीय समाज को प्रेरित करती है: डॉ.संतन राम, क्षेत्रीय निदेशक, इग्नू

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १४ अप्रैल
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय “अंबेडकर जयंती आयोजन समिति” के तत्वावधान में विश्वविद्यालय सीनेट हॉल में “आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ.अंबेडकर का योगदान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसर स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा पर कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय, इग्नू, दरभंगा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ.संतन राम, कुलानुशासक प्रो.बी.एस राय, कुलसचिव प्रो.संजय कुमार ने माल्यार्पण किया। सीनेट हॉल में संगोष्ठी की शुरुआत में विश्वविद्यालय कुलगीत की प्रस्तुति की गई। इसके बाद कवि राम उचित पासवान द्वारा रचित “अंबेडकर स्तुति” का गायन एल.एस कॉलेज के प्राध्यापक डॉ.शिवेंद्र मौर्य ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सह इग्नू दरभंगा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ.संतन कुमार राम ने डॉ.आंबेडकर के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंबेडकर की जीवन यात्रा का महत्व उनके बहुआयामी योगदान में निहित है। शिक्षा, कानून, राजनीति, सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान के निर्माण में उनके योगदान ने उन्हें एक महान नेता और विचारक बना दिया। उनके विचार ने आधुनिक भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। अंबेडकर की शैक्षणिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने न सिर्फ स्कूली पढ़ाई पूरी की, बल्कि उच्च शिक्षा में इतने मनोयोग से पढ़ाई की कि उसके लिए उन्हें बड़ौदा महाराज की छात्रवृत्ति भी मिली। उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला, जहां से उन्होंने एमए व पीएचडी की डिग्रियां हासिल की। इंग्लैंड से उन्होंने वकालत की डिग्री ली। उन्हें लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से डीएससी करने का मौका मिला था, लेकिन तभी उन्हें बड़ौदा वापस आना पड़ा। मगर बाद में उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ डीएससी की डिग्री भी हासिल की और जर्मनी के बान विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया। भारत की संविधान सभा के सदस्य और संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष के तौर पर उनका इतना योगदान रहा की उनको ही संविधान का लेखक या निर्माता माना जाता है। आज के संदर्भ में देखा जाए तो यही उनका सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने कहा कि बहुआयामी प्रतिभा के धनी बाबा साहब को आधुनिक भारत के सबसे अग्रणी विचारकों में से एक के रूप में देखा जाना चाहिए। डॉ.आंबेडकर महान समाज सुधारक के साथ ही प्रखर बुद्धिजीवी, कानूनविद और अर्थशास्त्री भी थे। बाबा साहेब की जयंती पर हम सभी धर्म,पंथ, जाति और क्षेत्र आदि से ऊपर उठकर सही मायने में डॉ.आंबेडकर के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लें तो यह भारत की इस महान विभूति के प्रति हमारी सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विशिष्ठ अतिथि सह छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ.आलोक प्रताप सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वयं अर्थशास्त्री रहे अंबेडकर के समय के बाद दलितों-पिछड़ों ने आर्थिक रूप से लंबा सफर तय किया है। वंचित समाज उनके जीवन पथ पर चलकर अपने चेतना के स्तर को ऊपर उठाया है। समाज समानता के पथ पर अग्रसर है। कार्यक्रम का मंच संचालन पूर्व उप-कुलसचिव उमाशंकर दास, अतिथियों का सम्मान संबोधन कुलसचिव डॉ.संजय कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन उप-कुलसचिव डॉ.विनोद बैठा ने किया। मौके पर सीनेटर डॉ. जयकांत सिंह, डॉ.सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉ.राकेश कुमार सिंह, डॉ.लोकमान्य प्रताप, डॉ.रवि श्रीवास्तव, डॉ. मनोज कुमार, डॉ.ललन कुमार झा, डॉ.वीरेंद्र कुमार चौधरी, उप-कुलसचिव प्रथम डॉ.धीरेंद्र कुमार सिंह ‘मधु’, अंबेडकर आयोजन समिति के डॉ.ललित किशोर, विश्वविद्यालय स्थित इग्नौ अध्ययन केंद्र के डॉ.अमितेश रंजन, डॉ.अनिल कुमार, संजय कुमार, मनोज कुमार, कर्मचारी संघ के गौरव कुमार सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शिक्षेकेत्तर कर्मी और छात्र उपस्थित थे।