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जिलाधिकारी की सख्त निगरानी में पारदर्शी और सुचारू उर्वरक वितरण की सुदृढ़ व्यवस्था, थोक-फुटकर विक्रेता एवं प्रखंड अधिकारियों के साथ विधायक करेंगे बैठक

जिले में उर्वरक का पर्याप्त भंडार, कालाबाजारी पर जीरो टॉलरेंस: सुब्रत कुमार सेन, डीएम

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १३ दिसम्बर

जिले में रबी फसल वर्ष 2025–26 के दौरान किसानों को समय पर, उचित मूल्य पर और पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है। इसी क्रम में जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की बैठक मुजफ्फरपुर समाहरणालय सभागार में संपन्न हुई। बैठक में विधान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह, विधायक अजीत कुमार, अजय कुमार, कोमल सिंह तथा औराई एवं पारू के मंत्री/विधायक प्रतिनिधि सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में उर्वरक की उपलब्धता, भंडारण, बिक्री, अवशेष, निगरानी एवं निरीक्षण प्रणाली, POSH मशीन से सत्यापन, थोक एवं फुटकर विक्रेताओं की स्थिति सहित कई अहम बिंदुओं पर विस्तृत समीक्षा की गई तथा बैठक में उपस्थित विधायकों एवं विधान पार्षद से  आवश्यक सुझाव प्राप्त किया गया। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जरूरतमंद किसानों को निर्धारित दर पर, समय से बांछित उर्वरक उपलब्ध कराना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए नियमित निरीक्षण, सतत निगरानी और आवश्यकता पड़ने पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि रबी फसल 2025–26 के लिए जिले में उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण उपलब्ध है और किसानों की आवश्यकता के अनुसार किसी भी प्रकार की कमी नहीं है। विभिन्न उर्वरकों की अद्यतन स्थिति इस प्रकार है—यूरिया: जिले में कुल 25,368.745 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। अब तक 14,963.265 मीट्रिक टन की बिक्री किसानों के बीच की जा चुकी है, जबकि 10,405.480 मीट्रिक टन यूरिया अभी भी अवशेष है। डीएपी (DAP): कुल उपलब्धता 16,074.500 मीट्रिक टन। बिक्री 11,505.700 मीट्रिक टन, शेष 4,568.800 मीट्रिक टन। एनपीके (NPK): कुल उपलब्धता 17,241.274 मीट्रिक टन। बिक्री 7,746.700 मीट्रिक टन, अवशेष 9,494.574 मीट्रिक टन। एमओपी (MOP): उपलब्धता 7,111.996 मीट्रिक टन। बिक्री 4,917.951 मीट्रिक टन, शेष 2,194.045 मीट्रिक टन। एसएसपी (SSP): कुल उपलब्धता 4,475.425 मीट्रिक टन। बिक्री 1,262.725 मीट्रिक टन, अवशेष 3,212.700 मीट्रिक टन। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जिले में उर्वरक की कोई कमी नहीं है, आवश्यकता केवल संतुलित, पारदर्शी और नियंत्रित वितरण की है। बैठक में बताया गया कि जिले में वर्तमान में 35 थोक विक्रेता एवं 1,442 फुटकर विक्रेता कार्यरत हैं। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि गायघाट, मीनापुर, कांटी, पारू एवं औराई विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय विधायकों से समन्वय स्थापित कर विधानसभावार बैठकें आयोजित की जाएं। इन बैठकों में थोक विक्रेता, फुटकर विक्रेता, प्रखंड स्तरीय अधिकारीगण और कृषि  विभाग के अधिकारी शामिल होंगे, ताकि आपसी समन्वय से किसानों को निर्बाध रूप से उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि सांसद एवं सभी विधायकों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें हर सप्ताह उर्वरक की उपलब्धता, बिक्री और अवशेष की अद्यतन जानकारी जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा साझा की जाए। इससे जनप्रतिनिधियों को भी वास्तविक स्थिति की नियमित जानकारी मिलेगी और किसी भी समस्या का त्वरित समाधान संभव होगा। जिलाधिकारी ने कहा कि आगामी सप्ताह में उनके  द्वारा सभी  थोक विक्रेताओं के साथ विशेष बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उर्वरक किसानों तक सुगमता से, उचित मूल्य पर और पर्याप्त मात्रा में पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की लापरवाही, कालाबाजारी या जमाखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला पदाधिकारी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों, प्रखंडों के वरीय पदाधिकारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी की  टीम गठित कर खुदरा उर्वरक प्रतिष्ठानों का सघन निरीक्षण कराने का निर्देश दिया। निरीक्षण के उपरांत समेकित प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा गया, ताकि प्रभावी कार्रवाई की जा सके। निरीक्षण के दौरान निम्न बिंदुओं की अनिवार्य जांच के निर्देश दिए गए. जिनमें उर्वरक प्रतिष्ठान पर डिस्प्ले बोर्ड का स्पष्ट प्रदर्शन। डिस्प्ले बोर्ड के अनुसार भंडार का मिलान। POSH मशीन के अनुसार भंडार का सत्यापन। सभी दुकानों पर फ्लेक्स के माध्यम से डिस्प्ले बोर्ड एवं जन शिकायत हेतु टोल-फ्री/संपर्क नंबर अंकित करना। किसानों को उर्वरक खरीद पर पक्का रसीद उपलब्ध कराना। उर्वरक की बिक्री निर्धारित सरकारी मूल्य पर ही सुनिश्चित करना शामिल है. बैठक में जानकारी दी गई कि जिलाधिकारी के निर्देश पर लगातार निरीक्षण एवं कार्रवाई की जा रही है। रबी फसल 2025 के दौरान अब तक 286 छापेमारी की गई, जिसमें 33 प्रतिष्ठानों में अनियमितता पाई गई। इसके तहत—19 प्रतिष्ठानों का लाइसेंस निलंबित, 11 प्रतिष्ठानों का लाइसेंस रद्द, 3 प्रतिष्ठानों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। जिलाधिकारी ने दो टूक कहा कि कालाबाजारी, जमाखोरी और किसानों के शोषण पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार प्रत्येक पंचायत में किसानों को उपलब्ध स्टॉक, उर्वरक की दर और नजदीकी विक्रेताओं की जानकारी दें। इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी किसान को कोई भ्रम एवं संशय न हो, न ही अधिक कीमत चुकाने को मजबूर हो बल्कि सारी व्यवस्था सरकारी दिशा निर्देश एवं मानक के अनुरूप पारदर्शी रूप से संचालित हो। उर्वरक से संबंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए जिला कृषि पदाधिकारी कार्यालय में शिकायत नियंत्रण कक्ष सक्रिय है। किसान इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं— 9661697355 इसके अतिरिक्त किसान अपने प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं। जिलाधिकारी ने POSH मशीन के माध्यम से गोदामों में उपलब्ध उर्वरक का डिजिटल सत्यापन कर प्रखंडवार रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि POSH मशीन से सत्यापन का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता, सटीकता और कालाबाजारी पर रोक लगाना है। POSH मशीन से किसानों को मिलने वाले प्रमुख लाभ—उर्वरक/बीज की वास्तविक उपलब्धता सुनिश्चित। कालाबाजारी और जमाखोरी पर प्रभावी रोक। गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित सामग्री की गारंटी। डिजिटल रिकॉर्ड से पारदर्शिता और जवाबदेही। समय पर वितरण और सीजन के अनुरूप उपलब्धता। शिकायतों का त्वरित और प्रमाणिक समाधान। बैठक में जिलाधिकारी श्री सेन ने कहा कि रबी 2025–26 कृषि सीजन में किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। पर्याप्त स्टॉक, पारदर्शी वितरण, POSH मशीन से सत्यापन और सख्त निगरानी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को समय पर, सही और गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध हो। उन्होंने कहा की किसान हित सर्वोपरि है। पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कृषि व्यवस्था को मजबूत बनाना हमारा लक्ष्य है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी प्रमोद कुमार नें बताया की जिला प्रशासन की नियमित निगरानी, सघन निरीक्षण और पारदर्शी व्यवस्था के चलते जिले में उर्वरक वितरण प्रणाली मजबूत और सुचारू रूप से संचालित हो रही है, जिससे रबी फसल 2025–26 में किसानों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।

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