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रामदयालु सिंह महाविद्यालय के श्री कृष्ण सभा भवन में रामदयालु सिंह स्मृति दिवस का हुआ आयोजन

महान स्वतंत्रता सेनानी रामदयालु सिंह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे- डॉ.आलोक प्रताप सिंह, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष, बीआरएबीयू

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार

रामदयालु सिंह महाविद्यालय के श्री कृष्ण सभा भवन में रामदयालु सिंह स्मृति दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन व कुलगीत गायन से किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता नगर विधायक रंजन कुमार, छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ.आलोक प्रताप सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ.रामकुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ. संजय कुमार एवं अन्य अतिथियों को अंग वस्त्रम एवं पौधा देकर स्वागत किया गया। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। मुख्य वक्ता के रूप में नगर विधायक श्री कुमार ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी रामदयालु सिंह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। 1889 में कटरा थाने के गंगया ग्राम में जन्मे रामदयालु बाबू ने इलाहाबाद से वकालत की डिग्री ली। वकालत के साथ-साथ वे राष्ट्र सेवा की ओर अग्रसर हुए बाद में वकालत छोड़कर 1920 में वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शरीक हो गए। स्वतंत्रता संग्राम के क्रम में वे जब हजारीबाग जेल में थे तो उन्होंने वहां “राजबंदी महाविद्यालय” खोला। इससे पता चलता है कि शिक्षा के प्रचार- प्रसार में उनकी गहरी रुची थी। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के स्मृति स्वरूप राम दयालु सिंह महाविद्यालय जैसी विशिष्ट संस्था की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि रामदयालु सिंह महाविद्यालय का पूर्ववर्ती छात्र होने के नाते महाविद्यालय के विकास में वे हर संभव योगदान देंगे। महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या प्रो.अनिता सिंह ने रामदयालु बाबू के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें महान शिक्षानुरागी व राजनीतिज्ञ बताया। महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ.संजय कुमार ने उनके पूरे जीवन वृतांत पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ.शशि भूषण कुमार ने कहा कि रामदयालु बाबू का व्यक्तित्व काफी सरल था। वे न सिर्फ महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि त्याग, ईमानदारी और सच्ची मित्रता के मिसाल थे। बिहार विधानसभा के प्रथम सभापति, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामदयालु बाबू की पुण्यतिथि पर इनके जीवन वृत्त से सीख लेने की जरूरत है। उनके आशीर्वाद से शिक्षक, कर्मचारी और छात्र के सहयोग से महाविद्यालय का चहुंमुखी विकास किया जा रहा है। रामदयालु बाबू का संपूर्ण जीवन अनुकरणीय है। इस अवसर पर शोध लेख प्रकाशन, रिसर्च एवं प्रोजेक्ट के लिए डॉ.दीपक कुमार, डॉ.सौरभ राज, डॉ.राजेश कुमार, डॉ.आयशा जमाल, डॉ.सुमन लता, डॉ.विवेक मिश्रा, डॉ.श्रुति मिश्रा और डॉ.मंजरी आनंद को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कुलगीत, सरस्वती वंदना, प्रगतिशील गीत व लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति में आलिया, हाजरा, गुंजा, अंशु, निखिल हर्ष, शांभवी, आयशा, संदीप, बृजेश एवं हर्ष ने अपनी भूमिका अदा की। इस अवसर पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष  डॉ.आलोक प्रताप सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ.रामकुमार, आरपीएस कॉलेज, जैतपुर की प्राचार्या डॉ.अमिता शर्मा, एमएसकेबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राकेश कुमार सिंह, डॉ.विपुल बरनवाल, पूर्व प्राचार्य डॉ.बी.के आजाद, डॉ.अलका जायसवाल, सिंडिकेट सदस्य डॉ. सत्येंद्र प्रसाद सिंह ‘टुनटुन’, डॉ.रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ.संजय कुमार सुमन, डॉ.धर्मेंद्र चौधरी, डॉ.ममता कुमारी, डॉ.राजीव कुमार, डॉ.नीलिमा झा, डॉ.आर.एन ओझा समेत बड़ी संख्या में महाविद्यालय  के सभी शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.अनुराधा पाठक और धन्यवाद  ज्ञापन डॉ. एम.एन रिजवी ने किया।

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