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मुजफ्फरपुर की जीविका दीदियों ने फिर रचा इतिहास, आनंद संकुल स्तरीय संगठन सकरा को हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय सम्मान

पूर्वी जोन में प्रथम पुरस्कार, योजना आयोग तेलंगाना के उपाध्यक्ष ने किया सम्मानित

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, २४ नवम्बर

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने में जीविका दीदियों की भूमिका लगातार प्रशंसनीय रही है। इसी कड़ी में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले को राष्ट्रीय स्तर पर एक और उपलब्धि हासिल हुई है। जिले के आनंद संकुल स्तरीय संगठन (सीएलएफ) सकरा को हैदराबाद में एपमॉस तेलंगाना द्वारा आयोजित विशेष सम्मेलन में 40,000 रुपये का चेक, शील्ड, प्रमाण पत्र देकर  सम्मानित किया गया। यह सम्मान योजना आयोग तेलंगाना के उपाध्यक्ष डॉ.चिन्ना रेड्डी के द्वारा दिया गया, जिसने जिले के साथ पूरे बिहार का नाम रोशन किया। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में देशभर के 18 राज्यों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें कुल 450 संकुल स्तरीय संगठनों ने भागीदारी हेतु निबंधन कराया। सघन मूल्यांकन एवं चयन प्रक्रिया के बाद केवल 13 सीएलएफ को विभिन्न जोनों से राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए चुना गया। पूर्वी जोन में आनंद सीएलएफ, सकरा ने प्रथम स्थान प्राप्त कर बिहार के लिए गौरव हासिल किया। संगठन की ओर से कार्यक्रम में रूबी कुमारी एवं सुशीला कुमारी ने पुरस्कार ग्रहण किया। वर्तमान में संगठन की अध्यक्षा  सुशीला देवी तथा सचिव शांति देवी हैं, जिनके नेतृत्व में जीविका समूहों का कार्य उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ रहा है। हैदराबाद में आयोजित इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में बिहार की जीविका दीदियों ने शिरकत करते हुए राज्य में जीविका के माध्यम से संचालित विभिन्न आजीविका कार्यक्रमों, महिला सशक्तिकरण से जुड़े नवाचारों तथा सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के अपने अनुभव साझा किए। उनकी कार्यशैली, प्रतिबद्धता और नवाचार की व्यापक रूप से सराहना की गई। सम्मेलन से लौटने के बाद आनंद सीएलएफ की पूरी टीम ने जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन से मिलकर पुरस्कार की जानकारी दी और अनुभव साझा किया। जिलाधिकारी ने जीविका दीदियों के निरंतर रचनात्मक, नवोन्मेषी एवं प्रभावी कार्यों की प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य और निरंतर प्रगति की शुभकामना देते हुए कहा की  जीविका दीदियों के सतत प्रयासों से जिले के गांवों में आर्थिक और सामाजिक बदलाव की नई कहानी लिखी जा रही है। स्वरोजगार, सामूहिक उत्पादन, माइक्रो एंटरप्राइजेज, स्वच्छता, पौधारोपण, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन आदि क्षेत्रों में इन महिलाओं ने उल्लेखनीय प्रगति की है। इससे न केवल परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि ग्रामीण सामाजिक ढांचा भी सकारात्मक रूप से परिवर्तित हुआ है। विदित हो कि मुजफ्फरपुर जिले में जीविका दीदियों के द्वारा सोलर पंप से सिंचाई का अनोखा और अद्वितीय मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जिसकी सराहना स्वयं प्रधानमंत्री ने अपने राष्ट्रीय संबोधन में की थी। यह मॉडल ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में ऊर्जा दक्षता, लागत में कमी और महिलाओं की आमदनी बढ़ाने का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया है। महिलाओं की भूमिका को और मजबूत करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में “महिला संवाद” कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जीविका दीदियों से सीधे सुझाव और फीडबैक लिया गया। इसी संवाद के आधार पर कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत कर महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त किया गया। इसके साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट बिजली नि:शुल्क देने का निर्णय लिया गया, जिससे परिवारों पर आर्थिक बोझ कम हुआ। सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारियों को मिलने वाली राशि भी 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये प्रतिमाह कर दी गई, जिससे करोड़ों महिलाओं, बुजुर्गों और जरूरतमंदों को राहत मिली है। इन सभी निर्णयों के केंद्र में जीविका दीदियों के सुझाव, अनुभव और जमीनी हकीकत से जुड़े विचार रहे, जो दर्शाता है कि सरकार और समाज में उनकी भूमिका निरंतर सशक्त हो रही है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी प्रमोद कुमार नें बताया की मुजफ्फरपुर की यह उपलब्धि बताती है कि बिहार में महिलाओं की सामूहिक शक्ति, परिश्रम एवं नेतृत्व क्षमता किस तरह से राष्ट्रीय पहचान बना रही है। जीविका दीदियों द्वारा किए जा रहे नवाचार आज पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हैदराबाद में प्राप्त यह राष्ट्रीय सम्मान जीविका दीदियों के आत्मविश्वास को और मजबूत करेगा तथा आने वाले समय में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को नई दिशा और गति देगा।

 

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