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स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस की समीक्षा बैठक सम्पन्न — जिलाधिकारी ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, मातृ-शिशु सुरक्षा, फाइलेरिया उन्मूलन एवं पूर्ण टीकाकरण पर दिया विशेष जोर

पूर्ण टीकाकरण 98%—ANC, संस्थागत प्रसव और कुपोषण उन्मूलन पर डीएम ने दिए समयबद्ध लक्ष्य, तीसरे साल भी AES से एक भी मौत नहीं— मुजफ्फरपुर की बड़ी उपलब्धि, स्वास्थ्य व्यवस्था हुई मजबूत

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १७ नवम्बर

जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस की समीक्षा बैठक मुजफ्फरपुर समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर संचालन, मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रगति, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने, पूर्ण टीकाकरण, कुपोषण मुक्त मिशन तथा आगामी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की तैयारी की विस्तृत समीक्षा की। इस दौरान सभी प्रखंडों से आये प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधकों, बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों तथा आईसीडीएस के अधिकारियों को दिशा–निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों को अस्पतालों में उपलब्ध सेवाओं को मानक के अनुरूप सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि रोगियों को समय पर इलाज, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण, दवा वितरण तथा आपातकालीन सेवाएं मिलनी चाहिए। जिलाधिकारी ने प्रखंडवार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लक्ष्य एवं उपलब्धि की विस्तृत समीक्षा की और पाया कि कुछ प्रखंड अपेक्षित लक्ष्य से काफी पीछे हैं। उन्होंने कहा की डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी जरूरतमंद रोगियों के प्रति संवेदनशील होकर पूरी जवाबदेही के साथ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएं। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच (ANC) की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने प्रखंडवार प्रगति का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने विशेषकर महादलित टोलों में कैंप आयोजित कर महिलाओं को जागरूक करने, मोबिलाइज करने और प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इस कार्य में आशा , एएनएम , सेविका , सहायिका को संयुक्त रूप से सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक शत-प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त करना अनिवार्य है। समीक्षा में पाया गया की मुसहरी – 71%, गायघाट – 78%, बंदरा – 95% रहा। मोतीपुर, सरैया, पारू में सुधार लाने का निर्देश दिया। जबकि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अघोरिया बाजार – प्रदर्शन कम रहा। मुरौल एवं मोतीपुर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि कम प्रदर्शन वाले प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, BCM और स्वास्थ्य प्रबंधकों के साथ विशेष बैठक कर सुधार सुनिश्चित करें। संस्थागत प्रसव की स्थिति की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित नर्स और विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में प्रसव कराना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा की सभी डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी मुख्यालय में रहकर जिम्मेदारी से कार्य करें। संस्थागत प्रसव बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। न्यूनतम उपलब्धि वाले प्रखंडों औराई, मुसहरी, कटरा, पारू, कुढ़नी और सरैया के साथ अलग से बैठक कर प्रगति लाने का निर्देश सिविल सर्जन को दिया गया। जिलाधिकारी ने अवगत कराया कि 24 से 27 नवंबर 2025 तक जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चयनित दो गांवों में रात्रि रक्त-सैंपल सर्वे किया जाएगा। प्रत्येक साइट पर 300 लोगों के रक्त नमूने लिए जाएंगे, ताकि फाइलेरिया परजीवी की पहचान की जा सके। रक्त संग्रह रात्रि 8:30 बजे से शुरू होगा। फाइलेरिया की जांच पूरी तरह निशुल्क होगी। संक्रमित व्यक्तियों को दवा उपलब्ध कराई जाएगी। फाइलेरिया नियंत्रण के लिए 10 फरवरी 2026 से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसमें जिले के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा मुफ्त में दी जाएगी। इस दिशा में माइक्रो प्लान तैयार कर लिया गया है। जिलाधिकारी ने प्रखंडवार पूर्ण टीकाकरण की समीक्षा की। उन्होंने जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को निर्देश दिया कि ड्यू लिस्ट अपडेट की जाए और सभी बच्चों को बुलाकर शत प्रतिशत टीकाकरण कराया जाए। समीक्षा में पाया गया कि लक्ष्य- 11,604 बच्चे के विरुद्ध, उपलब्धि- 11,418 अर्थात कुल उपलब्धि – 98% है। जिलाधिकारी ने 100% लक्ष्य प्राप्त करने पर विशेष बल दिया। इस संबंध में उप-विकास आयुक्त को निर्देश दिया कि सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य और आईसीडीएस पदाधिकारियों के साथ साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/गूगल मीट के माध्यम से प्रगति की समीक्षा सुनिश्चित करें। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने निर्देश दिया कि हर परियोजना से प्रति सप्ताह न्यूनतम दो कुपोषित बच्चों को NRC में भेजा जाए। वर्तमान में 18 बच्चे NRC में नामांकित हैं। डीपीएम– आईसीडीएस को निर्देश दिया गया कि प्रत्येक परियोजना से कितने बच्चे भेजे गए, इसका साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाए। जिन CDPO द्वारा लक्ष्य पूरा नहीं किया जाएगा, उनपर कार्रवाई होगी। बीपी, शुगर, हार्ट के मरीजों की जांच को लेकर जिलाधिकारी ने सभी अस्पतालों में नियमित जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा की ECG मशीनें सभी अस्पतालों में कार्यरत रहें। पैथोलॉजी जांच की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो। दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएं। सभी बिंदुओं की नियमित मॉनिटरिंग का निर्देश सिविल सर्जन को दिया गया। जिलाधिकारी ने APHC के कार्यों की गहन समीक्षा करने हेतु सिविल सर्जन को क्षेत्र भ्रमण करने, कमियों को दूर करने तथा प्रगति लाने का आदेश दिया साथ ही उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित करने की भी बात कही, ताकि अन्य कर्मियों को भी प्रेरणा मिले। बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि मुजफ्फरपुर जिले में इस वर्ष भी AES (एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम) से एक भी मौत दर्ज नहीं की गई, जो लगातार तीसरा वर्ष है। उन्होंने कहा की जीविका, आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों की संयुक्त मेहनत का यह परिणाम है। गांव–टोले–मोहल्लों में जागरूकता अभियान, साप्ताहिक प्रयास और त्वरित स्वास्थ्य सुविधा ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है। यह उपलब्धि जिले के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण  है।

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