सभी RO, ARO को चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया की दी गई ट्रेनिंग, EVM/VVPAT का भी हुआ हैंड्सआन ट्रेनिंग

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, ०८ अक्टूबर
बिहार विधानसभा चुनाव में रिटर्निग ऑफिसर की महती भूमिका को देखते तथा उन्हें आयोग की मार्गदर्शिका के अनुरूप चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया से अवगत कराने के निमित्त जिला निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के निर्देश पर सभी निर्वाची पदाधिकारी एवं सहायक निर्वाची पदाधिकारी को गन्नीपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान सभी अधिकारियों को ईवीएम बीवीपैट की भी तकनीकी जानकारी एवं हैंड्सआन ट्रेंनिंग दी गई। अवर निर्वाचन पदाधिकारी पूर्वी राजू कुमार एवं अवर निर्वाचन पदाधिकारी पश्चिमी सृष्टि कुमारी ने ट्रेनिंग दी। इस दौरान प्रशिक्षक ने निर्वाची पदाधिकारी को चुनाव के दौरान बांछित उपयोगी एवं आवश्यक जानकारी दी गई तथा निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश के अनुरूप कार्य करने संबंधी बिंदुओं से अवगत कराया। जिला जनसम्पर्क अधिकारी प्रमोद कुमार नें बताया कि विधानसभा चुनावों में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन आयोग एक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करता है, जो उस क्षेत्र की संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया का दायित्व संभालता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में रिटर्निंग ऑफिसर की जिम्मेदारी और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह लोकतंत्र के उस मूल स्तंभ “निष्पक्ष चुनाव” को साकार करने की दिशा में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति की जाती है। सामान्यतः यह दायित्व SDO या समकक्ष पद के अधिकारी को दिया जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर उस निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचन से जुड़ी सभी विधिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिए मुख्य जिम्मेदार अधिकारी होता है। वह निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है और चुनाव की पूरी प्रक्रिया के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करता है। रिटर्निंग ऑफिसर का सबसे प्रमुख दायित्व उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की स्वीकृति से जुड़ा होता है। वह नामांकन पत्रों की प्राप्ति, परीक्षण (Scrutiny) और वैधता का निर्णय करता है। यदि कोई नामांकन अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत हो, तो उसे निरस्त करने का अधिकार भी रिटर्निंग ऑफिसर के पास होता है। नामांकन की अंतिम तिथि के बाद, वह वैध प्रत्याशियों की अंतिम सूची प्रकाशित करता है। इस प्रक्रिया में उसे निर्वाचन कानूनों, विशेष रूप से Representation of the People Act, 1951 की धाराओं का पालन करना होता है। इस चरण में रिटर्निंग ऑफिसर की निष्पक्षता, पारदर्शिता और संवेदनशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यहीं से चुनाव की विधिक नींव रखी जाती है। नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर राजनीतिक दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशियों को निर्वाचन प्रतीक आवंटित करता है। यह कार्य निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाता है। किसी भी प्रकार की शिकायत या विवाद की स्थिति में वह आयोग के निर्देशानुसार निर्णय लेता है ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त हो। रिटर्निंग ऑफिसर का दायित्व केवल नामांकन तक सीमित नहीं होता। वह अपने क्षेत्र में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) के अनुपालन की निगरानी करता है। प्रचार सामग्री, सार्वजनिक सभाओं, जुलूसों एवं मीडिया उपयोग पर आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करता है। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कार्रवाई के लिए निरीक्षण दलों एवं फ्लाइंग स्क्वॉड से समन्वय करता है। इस प्रकार वह चुनाव को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। रिटर्निंग ऑफिसर अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्रों की स्थापना, उनकी भौतिक व्यवस्था और मतदान कर्मियों की तैनाती की जिम्मेदारी संभालता है। प्रत्येक मतदान केंद्र पर आवश्यक सुविधाएँ बिजली, पानी, रैंप, शौचालय, सुरक्षा आदि उपलब्ध हों, इसका ध्यान रखता है। मतदान कर्मियों (पीठासीन पदाधिकारी, मतदान पदाधिकारी आदि) का चयन एवं प्रशिक्षण भी उसी के अधीन होता है। इसके अतिरिक्त वह मतदान सामग्रियों के वितरण और वापसी केंद्रों का संचालन करता है। मतदान के दिन रिटर्निंग ऑफिसर की भूमिका अत्यंत सक्रिय होती है। वह मतदान केंद्रों की स्थिति की सतत निगरानी करता है। मतदान मशीन (EVM/VVPAT) की सुरक्षा, सही उपयोग एवं तकनीकी त्रुटियों की स्थिति में त्वरित सुधार सुनिश्चित करता है। किसी भी शिकायत, गड़बड़ी या हिंसा की स्थिति में त्वरित निर्णय लेकर रिपोर्ट आयोग को भेजता है। मतदान समाप्त होने के बाद, सभी EVM एवं VVPAT मशीनों को सुरक्षित रूप से स्ट्रांग रूम में जमा कराने की जिम्मेदारी उसी की होती है। मतगणना दिवस पर रिटर्निंग ऑफिसर का कार्य अत्यंत संवेदनशील होता है। वह मतगणना केंद्रों की तैयारी, सुरक्षा एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। मतगणना कर्मियों की नियुक्ति, मतगणना तालिकाओं की व्यवस्था, अभिकर्ताओं की उपस्थिति तथा प्रत्येक राउंड की मतगणना का पर्यवेक्षण करता है। किसी भी मतगणना विवाद, पुनर्गणना की मांग या आपत्ति का निर्णय निर्वाचन कानूनों के अनुसार करता है। अंतिम परिणाम की घोषणा और विजेता उम्मीदवार को निर्वाचन प्रमाणपत्र (Certificate of Election) प्रदान करना उसी का विधिक दायित्व है। रिटर्निंग ऑफिसर को निर्वाचन से संबंधित सभी रिपोर्टें, प्रपत्र और रिकॉर्ड निर्धारित प्रारूप में आयोग को प्रस्तुत करने होते हैं। उसे सभी दस्तावेजों का सुरक्षित संधारण करना होता है ताकि भविष्य में किसी न्यायिक समीक्षा या शिकायत की स्थिति में उपयोग किया जा सके। चुनाव प्रक्रिया की पूर्णता पर वह “रिटर्न ऑफ इलेक्शन” (Return of Election) रिपोर्ट आयोग को सौंपता है। रिटर्निंग ऑफिसर से अपेक्षा की जाती है कि वह पूर्ण निष्पक्षता, पारदर्शिता और विधिक अनुशासन के साथ कार्य करे। उसे किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रति पक्षपात नहीं करना चाहिए। प्रत्येक निर्णय का आधार केवल कानून और आयोग की अधिसूचनाएँ होनी चाहिए। उसकी भूमिका लोकतंत्र के प्रति जवाबदेही और जनता के विश्वास की प्रतीक होती है। इस प्रकार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रिटर्निंग ऑफिसर का कार्य केवल एक प्रशासनिक पद नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा और विश्वसनीयता का संरक्षक पद है। उसकी सतर्कता, निष्पक्षता और कुशल प्रबंधन से ही चुनाव प्रक्रिया सुचारु, शांतिपूर्ण एवं पारदर्शी रूप से संपन्न होती है। रिटर्निंग ऑफिसर ही वह अधिकारी होता है जो मतदाता और लोकतंत्र के बीच सेतु का कार्य करता है।





