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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में “क़मर आज़म हाश्मी: शास्त्रीय विरासत और समकालीन संवेदनशीलता का संक्षेपण” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

               

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, २८ अगस्त

विश्वविद्यालय उर्दू विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय की ओर से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय था “क़मर आज़म हाश्मी: शास्त्रीय विरासत और समकालीन संवेदनशीलता का संक्षेपण।“ उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने प्रोफेसर कमर आज़म हाशमी की विद्वत्ता और सेवाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि क़मर आज़म हाशमी जैसे गुरु हमारे आदर्श होने चाहिए। ज्ञान और विद्यार्थियों के प्रति उनकी निष्ठा के बारे में जानकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष प्रो.सैयद आले ज़फर ने दिया। उन्होंने कहा कि प्रो.हाशमी की शिक्षण, शोध और पत्रकारिता सेवाएँ अविस्मरणीय हैं। प्रोफेसर क़मर आज़म हाश्मी का जन्म 20 नवंबर 1942 को हुआ था और उनका निधन 6 अप्रैल 2012 को हुआ था. वह बिहार में उर्दू भाषा और साहित्य के एक प्रमुख शिक्षक, आलोचक थे और उर्दू आंदोलन के स्तंभों में से एक माने जाते थे. वह उर्दू साहित्य, भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में विद्वानों को एक साथ लाने के लिए उर्दू अध्ययन  (Urdu Studies) के लिए जाने जाते हैं, और यह संस्था उनके सम्मान में स्थापित की गई है. प्रोफेसर क़मर आज़म हाश्मी उर्दू के एक प्रसिद्ध शिक्षक और आलोचक थे. उन्होंने उर्दू भाषा और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे बिहार में उर्दू आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे, जिन्होंने उर्दू भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम किया. उनके सम्मान में उर्दू अध्ययन (Urdu Studies) पत्रिका की स्थापना की गई. इस पत्रिका का उद्देश्य दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में उर्दू साहित्य, भाषा और संस्कृति का अध्ययन करने वाले विद्वानों के अकादमिक कार्यों को एक साथ लाना है. इस अवसर पर डीन, मानविकी संकाय सह प्राचार्या लंगट महाविद्यालय  प्रो.कनु प्रिया ने सेमिनार के आयोजन पर उर्दू विभाग को बधाई दी। मुख्य वक्तव्य प्रोफेसर रईस अनवर (पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय) ने प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रोफेसर हाशमी को उर्दू का महान सिपहसालार बताया।अध्यक्षीय भाषण प्रो.फारूक़ अहमद सिद्दीकी (पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू, बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय) ने दिया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर कमर अज़म हाशमी एक ईमानदार, मेहनती और सिद्धांतप्रिय शिक्षक थे। उन्होंने अध्यापन को हमेशा अपना लक्ष्य और इबादत माना। उद्घाटन सत्र का संचालन प्रो.मो.हामिद अली ख़ान ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो.महबूब इक़बाल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत छात्र ग़ुलाम ग़ौस की तिलावत-ए-क़ुरआन पाक से हुई। ज़ैनब यासमीन, शबिस्तां परवीन, शबाना परवीन, ज़रीना परवीन और नूर सलीमा ने विश्वविद्यालय कुल गीत प्रस्तुत किया। साश्वत श्याम और अभिषेक कुमार ने तबला और हारमोनियम पर संगीत दी। पहले तकनीकी सत्र में ज़ैनब यासमीन, प्रो.अबू मुनव्वर ग़िलानी, प्रो.सैयद हसन अब्बास और डॉ. ज़ैन रामिश ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। डॉ. जलाल असगर फ़रीदी ने “अज़मत-ए-कमर” शीर्षक से कविता सुनाई। अध्यक्षता फ़ख़रुद्दीन आरिफ़ी और प्रो.रईस अनवर ने की। संचालन प्रो.मजहर किबरिया (उर्दू विभागाध्यक्ष, जे. पी. विश्वविद्यालय, छपरा) ने किया। दूसरे तकनीकी सत्र में अज़रा नसीम, डॉ.मुबश्शिरा सदफ़, कामरान ग़नी सबा, डॉ. हसन रज़ा, प्रो.मजहर किबरिया और अफ़साना निगार, फ़ख़रुद्दीन आरिफ़ी ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। अध्यक्षता प्रो.सैयद हसन अब्बास और डॉ.ज़ैन रामिश ने की ने की। समापन सत्र में डॉ.मोहम्मद अमानुल्लाह, प्रो.सैयद हसन अब्बास और डॉ. एस.एम. रिज़वानुल्लाह नदीम (पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय) ने संबोधित किया। उन्होंने संगोष्ठी की सफलता पर विभाग को बधाई दी और प्रोफेसर हाशमी की शैक्षणिक व साहित्यिक सेवाओं पर विस्तार से चर्चा की। विभागाध्यक्ष प्रो.सैयद आले ज़फर ने कुलपति, अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उर्दू विभाग आगे भी शैक्षणिक और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। संगोष्ठी में शिवहर डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सह एमएसकेबी कॉलेज में उर्दू के विभागाध्यक्ष डॉ.मो.रईस, प्रो.अब्दुल बरक़ात, मो.इक़बाल समी, मो.सलीमुल्लाह, प्रो.मनोज कुमार, उप-कुलसचिव डॉ. विनोद बैठा, डॉ. सैयद अब्बास शाह, डॉ. इम्तियाज़ अंसारी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी और उर्दू प्रेमी उपस्थित थे।

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