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जलसंकट की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक, त्वरित उपाय सुनिश्चित करने के दिए निर्देश

ध्रुव कुमार सिंह, सीतामढ़ी, बिहार, १२ जुलाई

मानसून की अत्यधिक कमी के कारण उत्पन्न जल संकट की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सीतामढ़ी  समाहरणालय के विमर्श सभा कक्ष में जिलाधिकारी रिची पांडेय की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में एडीएम (आपदा प्रबंधन), पीएचईडी विभाग के कार्यपालक एवं कनीय अभियंता, जिला जनसम्पर्क अधिकारी कमल सिंह, सभी प्रखंडों के कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), नल-जल योजना से जुड़े संवेदक सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। जिलाधिकारी ने बैठक में कहा कि बारिश के अभाव में भू-जल स्तर में आई गिरावट के कारण कई पंचायतों में पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसे में सभी संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को आपसी समन्वय के साथ त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारियों एवं पीएचईडी के अभियंताओं को निर्देश दिया कि जल संकट से प्रभावित पंचायतों में प्राथमिकता के आधार पर कार्य करते हुए उसमें तेजी लाई जाए। विशेषकर मनरेगा अंतर्गत सभी कार्यक्रम पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि पंचायत स्तर पर चापाकलों के किनारे सोख्ता निर्माण की योजना को शीघ्र क्रियान्वित कराएं साथ ही पुराने कुओं का जीर्णोद्धार भी तेजी से कराया जाए। बैठक में नल-जल योजनाओं की प्रखंडवार समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जो योजनाएं किसी कारणवश बंद हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से चालू किया जाए। संवेदकों को कार्य में तेजी लाने एवं समयबद्ध पूर्णता सुनिश्चित करने को कहा गया। कृषि पदाधिकारी को निर्देशित किया गया कि वे अपने स्तर से कृषि सलाहकारों के माध्यम से किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करें। किसानों को बताया जाए कि आवश्यकता अनुसार ही जल का उपयोग करें, अनावश्यक दोहन से भू-जल स्तर और नीचे जा सकता है। जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि मौसम विभाग के अनुसार अगले दो से तीन दिनों में अच्छी वर्षा की संभावना है, जिससे जल स्तर में सुधार की अपेक्षा है। इस दौरान सांख्यिकी विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, जून माह में जिले में औसत वर्षा की तुलना में 83% की कमी रही, वहीं जुलाई में अब तक औसत से 98% कम वर्षा दर्ज की गई है। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है, जिसे देखते हुए जल प्रबंधन को लेकर सतर्कता आवश्यक है।

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