बी.आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के संबद्ध अनुदानित महाविद्यालय संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में अपनी लंबित मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन का एलान, कई संगठनों ने आंदोलन का किया समर्थन
चरणबद आंदोलन के साथ मशाल जुलूस विश्वविद्यालय परिसर में निकाला जाएगा, भूख हड़ताल किया जाएगा, आंदोलन को समर्थन देने के लिए जुटेंगे कई राजनीतिक दल एवं सामाजिक संगठन

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, २३ जून
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय परिसर स्थित धरना स्थल पर बड़ी संख्या में उपस्थित संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी ने आम सभा की। आमसभा के बाद संबद्ध अनुदानित महाविद्यालय संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारी डॉ.सुनील कुमार एवं प्रो.संत ज्ञानेश्वर ने प्रेस वार्ता कर आंदोलन की रुपरेखा पर प्रकाश डाला। डॉ.कुमार ने कहा कि कई बार संबद्ध कॉलेजों की समस्याओं के निराकरण हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया गया लेकिन कोई कारवाई नहीं होने की स्थिति में मजबूरन आंदोलन की शुरुआत की गई है। प्रेस वार्ता में पदाधिकारियों ने कहा की संबद्ध कालेज के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन मद में आठ महीने पूर्व ही सरकार द्वारा अनुदान की राशि भेजी जा चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जानबूझकर व्यवधान पैदा किया जा रहा है और राशि का वितरण नहीं किया जा रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे शिक्षकों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया है। उन्होंने कहा की शिक्षकों द्वारा उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाता है, लेकिन मूल्यांकन पारिश्रमिक के लिए कई माह से शिक्षक दर- दर भटक रहे हैं। विश्वविद्यालय इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है। संबद्ध कॉलेजों को भी नैक मूल्यांकन कराना अनिवार्य है। नैक में शोध कार्य और लेख प्रकाशन पर अधिकतम अंक है। फिर भी कुलपति द्वारा शिक्षकों को शोध कार्य कराने से वंचित कर दिया गया है। यह कहीं से न्यायोचित नहीं है। अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों में शासी निकाय का गठन नहीं किया गया है। इससे महाविद्यालयों की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। संबद्ध कॉलेज के शिक्षकों का ईपीएफ खाता अभी तक सुनिश्चित नहीं किया है। पत्रांक 2305 दिनांक 08.07.2024 के पत्र को वापस लिया जाए। शिक्षकों को गणक कार्य से वंचित कर दिया गया है जो कहीं से न्यायोचित नहीं है। शिक्षकों का ठहराव भता के 750 से 2000 रूपये किया जाए। आंतरिक परीक्षा का मूल्यांकन पारिश्रमिक ₹15 प्रति छात्र किया जाए। छात्रों से औपबंधिक प्रमाण पत्र और मूल प्रमाण पत्र की राशि विश्वविद्यालय में जमा कराए जाती है, मगर कई महीने बीत जाने के बाद भी प्रमाण पत्र के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। संगठन ने मांग की है कि संबद्ध कॉलेज के शिक्षकों को भी विश्वविद्यालय में पदाधिकारी बनाया जाए, जबकि इसके पूर्व में कई विश्वविद्यालय में शिक्षकों को पदाधिकारी बनाया गया है। किन्तु उपर्युक्त किसी भी मांग पर विश्वविद्यालय ने कोई रुचि नहीं दिखाई है। अतः शिक्षक एवं कर्मचारी आंदोलन पर उतारू हुए हैं। प्रेस वार्ता में प्रो.पी.के शाही, डॉ.ललन शर्मा, डॉ.दिनेश मिश्रा, डॉ.ललितेश नारायण प्रसाद, डॉ.कामेश्वर सिंह, डॉ.शशांक शेखर, डॉ.कौशल कुमार शर्मा, डॉ.रविन्द्र प्रसाद सिंह डॉ.अनिल कुमार, डॉ.निशांत कुमार, डॉ.अशोक कुमार मौजूद थें.