जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक में फसल विविधीकरण (Crop Diversification) को बढ़ावा देनें के डीएम नें दिए निर्देश
आज की आवश्यकता यह है कि हम खेती को केवल परंपरा से नहीं, वैज्ञानिक सोच और बाजार की मांग से जोड़ें- रिची पांडेय, जिलाधिकारी

ध्रुव कुमार सिंह, सीतामढ़ी, बिहार, १० जून
जिलाधिकारी रिची पांडेय की अध्यक्षता में जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक सीतामढ़ी समाहरणालय स्थित विमर्श सभा कक्ष में आयोजित की गई. बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला जन संपर्क अधिकारी कमल सिंह सहित अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में जिलाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी, कृषि वैज्ञानिक आत्मा तथा अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि फसल विविधीकरण को बढ़ावा दें ताकि इससे किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि हो सके और खेती को अधिक लाभकारी एवं जल-संवेदनशील बनाया जा सके। बैठक में जिलाधिकारी श्री पांडेय ने फसल विविधीकरण (Crop Diversification) को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि परंपरागत धान आधारित एकतरफा कृषि पद्धति से हटकर किसानों को अन्य लाभकारी फसलों की ओर प्रेरित किया जाए। उन्होंने विशेष तौर पर मखाना, सोयाबीन, मड़ुआ, मक्का एवं अन्य मिलेट्स जैसी नगदी फसलों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा की आज की आवश्यकता यह है कि हम खेती को केवल परंपरा से नहीं, वैज्ञानिक सोच और बाजार की मांग से जोड़ें। किसानों को जागरूक कर फसल विविधीकरण की दिशा में ठोस पहल की जाए.बैठक में तय किया गया कि कृषि विभाग, आत्मा कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) आदि समन्वयित रूप से किसानों को नई फसलों की जानकारी, प्रशिक्षण एवं बीज आदि की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे। ब्लॉक स्तर पर प्रचार-प्रसार अभियान चलाकर जागरूकता फैलाई जाएगी। डीएम ने कहा कि मिलेट्स और मोटे अनाज जैसे फसलें कम पानी में भी उगाई जा सकती हैं और जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से यह अधिक अनुकूल हैं। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगी, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी संतुलन को भी मजबूत करेंगी। उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि गांव-गांव में फसल विविधीकरण के लाभों को लेकर प्रचार रथ, पंपलेट वितरण, ग्राम चौपाल, किसान गोष्ठियों आदि माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। साथ ही सफल किसानों की कहानियों को साझा कर अन्य किसानों को प्रेरित किया जाए। बैठक में इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि उर्वरक वितरण तथा बीज वितरण में पूरी पारदर्शिता बढ़ती जाए । इससे संबंधित शिकायत प्राप्त होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कृषि पदाधिकारी ने बताया जिले में अभी यूरिया की उपलब्धता 10544.86 मेट्रिक टन है. उन्होंने कहा कि जिले में उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है खाद्य की किल्लत नहीं है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया की उर्वरक की उपलब्धता एवं बिक्री पर सतत निगरानी रखे, किसी भी स्थिति में उर्वरकों की कालाबाजारी की शिकायत नही मिलनी चाहिए। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि उर्वरक की बिक्री पर सतत निगरानी रखते हुए कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार की उपस्थिति में उर्वरक का वितरण उचित मूल्य पर करना सुनिश्चित करें साथ ही भ्रमणशील रहकर उर्वरक का निर्धारित मूल्य पर बिक्री एवं खुदरा उर्वरक प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण भी प्रतिदिन करना सुनिश्चित करें। बैठक में निर्देश दिया गया कि बंद पड़े नलकूपों को शीघ्र मरम्मति कर चालू करवाना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि विद्युत अभियंता एवं नलकूप के अभियंता आपस में समन्वय कर विद्युत दोष से बंद पड़े नलकूपों को अविलंब चालू करवाना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए सुदूर खेतों तक तेजी के साथ विद्युत संबद्धता प्रदान करना हमारा लक्ष्य है। आत्मा के समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य के विरुद्ध शत –प्रतिशत उपलब्धि करना सुनिश्चित करें। पशुपालन विभाग के समीक्षा के क्रम में कृत्रिम गर्भधारण, मैत्री केंद्र, पशु टीकाकरण, मोबाइल चिकित्सा, सुरभि चयन श्रृंखला इत्यादि की समीक्षा की गई एवं निर्देश दिया गया कि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी प्रतिबद्धता के साथ करें ताकि पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके। बैठक में इसकी अतिरिक्त गन्ना विकास म,आत्मा, मत्स्य तथा संबंधित अन्य विभागों की समीक्षा की गई।




