वैदिक गणित आधुनिक संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है: प्रो.एन.के अग्रवाल, उच्च शिक्षा निदेशक

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, ०९ दिसम्बर
रामदयालु सिंह महाविद्यालय के आइक्यूएसी एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, उत्तर बिहार के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि सह उच्च शिक्षा निदेशक, बिहार डॉ.एन.के अग्रवाल ने कहा कि वैदिक गणित की उत्पत्ति वेदों से हुई है। वेद ज्ञान का भंडार है, जहां से वैदिक गणित की जानकारी हमारे ऋषियों ने खोजी है। शुल्व सूत्र वेदों के सहायक ग्रंथ हैं, जिसमें यज्ञ वीडियो के निर्माण के लिए विस्तृत ज्यामितीय ज्ञान की जानकारी प्राप्त होती है। ज्योतिष और काल निर्धारण के लिए उन्नत गणितीय गणनाओं का ज्ञान हमें वैदिक गणित से ही प्राप्त होता है। निश्चित रूप से वेद ने एक बौद्धिक वातावरण और व्यावहारिक आवश्यकताओं को जन्म दिया है, जो भारत में गणितीय परंपरा के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। वर्तमान समय में वैदिक गणित की प्रासंगिकता बढ़ गई है। उन्होंने छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों को सफलतापूर्वक कार्यशाला में भाग लेने के लिए साधुवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने प्राचार्य सहित आयोजक मंडल को भी सफलतापूर्वक इस कार्यशाला के आयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से वैदिक गणित में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स लागू कराने का प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि सह कुलानुशासक डॉ.वी.एस. राय ने कहा कि वैदिक गणित की यह कार्यशाला छात्रों के समग्र बौद्धिक और शैक्षणिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण और पहला कदम है। इसके सफल आयोजन से भारतीय ज्ञान परंपरा को विस्तारित करने में सफलता मिलेगी। उन्होंने प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अनवरत सीखने में सक्रिय रहें और अकादमिक एवं व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़ते रहें। इसमें शिक्षकों का पूरा सहयोग उनको मिलता रहेगा। उन्होंने कॉलेज के प्राचार्य एवं पूरे आयोजक मंडल को इस प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित करने के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ.शशि भूषण कुमार ने सभी आगत अतिथियों का अंग वस्त्रम, पौधा और मोमेंटो देकर सम्मानित करते हुए कहा कि वैदिक गणित की यह दो दिवसीय कार्यशाला अपने आप में शैक्षणिक दृष्टि से अनूठा रहा। इस कार्यशाला ने छात्रों और शोधार्थियों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाया है और उनके अंदर रचनात्मकता को पैदा किया है। इस कार्यशाला ने छात्रों को गणित के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी दिया है। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए उन्होंने संयोजक, सह-संयोजक, ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के सभी सदस्यों एवं कार्यशाला में शिरकत के लिए बाहर के विश्वविद्यालयों से आए सभी संसाधन पुरुषों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने बताया कि आगे भी इस तरह की कार्यशाला आयोजित की जाएंगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आलोक त्रिपाठी, सम्मान संबोधन डॉ.भगवान कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.हसन रजा ने किया। मौके पर सिंडिकेट सदस्य डॉ.रमेश प्रसाद गुप्ता, एलएनटी कॉलेज की प्राचार्या डॉ.ममता रानी, एमएसकेबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राकेश कुमार सिंह, डॉ.राजेश्वर कुमार, डॉ.कुमार बलवंत, डॉ.विपुल बरनवाल, डॉ.अमर बहादुर शुक्ला, सीनेट सदस्य डॉ.संजय कुमार सुमन, डॉ.एम.एन रजवी, डॉ.राजीव कुमार, डॉ.आरती कुमारी, डॉ. रजनीकांत पांडे, डॉ.सौरभ राज, डॉ.अनुराधा पाठक, डॉ.स्नेह लता, डॉ.आरती कुमारी, डॉ.ललित किशोर, डॉ. भोला मोहाली समेत बाहर से आए शोधार्थी, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।




