बिहारराज्यलोकल न्यूज़

पारदर्शी लोकतंत्र की नींव- उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के खुलासे से बढ़ेगी चुनाव की पारदर्शिता और विश्वसनीयता

अभ्यर्थिता वापसी की अंतिम तिथि से मतदान तिथि के 48 घंटे पूर्व तक तीन बार प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया में उम्मीदवारों को आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में करना होगा प्रचार प्रसार

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, ०९ अक्टूबर

भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा और सबसे सशक्त लोकतंत्र माना जाता है, जहां जनता ही सर्वोच्च होती है और उसके मत से शासन की दिशा तय होती है। लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था की इस मजबूती को बनाये रखने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता का पालन बेहद आवश्यक है। इसी उद्देश्य से चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि चुनाव के दौरान कोई भी उम्मीदवार अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि को छिपा नहीं सके। चुनाव प्रक्रिया में यह पारदर्शिता केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति ईमानदारी और जनता के प्रति जवाबदेही का प्रतीक है। अभ्यर्थियों को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी न केवल एफिडेविट (प्रपत्र 26) में देनी होती है, बल्कि उसे समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तीन बार प्रचारित भी करना अनिवार्य है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक अभ्यर्थी को नामांकन के समय एफिडेविट के रूप में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की संपूर्ण घोषणा करनी होती है। इस घोषणा में संबंधित थाना का नाम, कोर्ट का नाम जहां मामला लंबित है, केस नंबर एवं अपराध का विवरण, मामले की वर्तमान स्थिति, यदि किसी अपराध में दोष सिद्ध हुआ है, तो, न्यायालय का नाम, भारतीय दंड संहिता की धाराएं, आदेश की तारीख,अधिरोपित दंड और अपील की स्थिति की जानकारी देनी होती है। यह व्यवस्था उच्चतम न्यायालय के वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 536 में दिए गए निर्णय के अनुपालन में की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि जो व्यक्ति उनके मत से प्रतिनिधि बनने जा रहा है, उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि क्या है। लोकतांत्रिक पारदर्शिता को और मजबूत करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर 2018 को एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया था। इस आदेश के तहत प्रत्येक अभ्यर्थी को यह दायित्व सौंपा गया कि वह अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी तीन बार प्रिंट मीडिया और तीन बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित करवाए। प्रचार की यह प्रक्रिया अभ्यर्थिता वापसी की अंतिम तिथि से लेकर मतदान की तिथि के 48 घंटे पूर्व तक पूरी करनी होती है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदत्त दिशा निर्देश के अनुरूप प्रचार की यह प्रक्रिया अभ्यर्थिता वापसी की अंतिम तिथि से लेकर मतदान की तिथि के 48 घंटे पूर्व तक पूरी करनी होती है। इस संदर्भ में स्पष्ट टाइमलाइन निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार नामांकन वापसी की अंतिम तिथि के चार दिनों के भीतर पहली बार प्रकाशन आवश्यक है। पांचवें से आठवें दिन के बीच दूसरी बार प्रकाशन करना होता है। नौवें दिन से लेकर मतदान की तिथि से 48 घंटे पूर्व तक तीसरी बार सूचना प्रचारित करनी होती है। यह जानकारी अभ्यर्थी को निर्धारित प्रपत्र C1 में तैयार कर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों को उपलब्ध करानी होती है। इसके पश्चात प्रचार-प्रसार पूरा होने पर निर्वाचन पदाधिकारी को प्रपत्र C4 में रिपोर्ट देना अनिवार्य है। उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी को सार्वजनिक रूप से प्रचारित करने का मुख्य उद्देश्य जनता को जागरूक, सजग और सक्षम बनाना है. चुनाव लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पर्व होता है। यदि मतदाता को अपने प्रत्याशी के बारे में पूरी जानकारी होगी, तो वह अधिक जिम्मेदारी और समझदारी से अपना वोट देगा। इससे लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी तथा चुनाव में पारदर्शिता एवं भरोसा बढ़ेगा। जनता को लोकतंत्र, चुनाव एवं  उम्मीदवार पर भरोसा बढ़ेगा। जब मतदाता को यह जानकारी मिलती है कि कौन-सा उम्मीदवार किस पृष्ठभूमि से आता है, तो उसके मन में चुनाव प्रक्रिया और संस्थाओं और उम्मीदवारों के प्रति भरोसा बढ़ता है तथा लोकतंत्र में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्णय लेकर अपने मताधिकार का प्रयोग करता है। इससे लोकतंत्रिक व्यवस्था में मीडिया की भूमिका सशक्त होती है। जब समाचार पत्र और टीवी चैनल इन जानकारियों को प्रचारित करते हैं, तो वे जनता तक सही सूचना पहुँचाने में एक सशक्त माध्यम बनते हैं। जिला निर्वाचन पदाधिकारी इस संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अभ्यर्थी द्वारा निर्धारित समय में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि का प्रचार-प्रसार किया जाये, प्रपत्र C1 और C4 में दी गई सूचनाएं सही और सत्यापित हों, मीडिया में प्रकाशित सामग्री का रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाये। यदि कोई अभ्यर्थी इन निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो यह निर्वाचन नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और आयोग के प्रावधान एवं प्रक्रिया के अनुसार उनके विरुद्ध  उचित कार्रवाई की जा सकती है। भारतीय लोकतंत्र सिर्फ चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि नैतिकता और पारदर्शिता पर आधारित व्यवस्था है। जिला प्रशासन द्वारा लगातार मतदाता जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं ताकि लोग इन सूचनाओं का सही उपयोग कर सकें। ‘जागरूक मतदाता, सशक्त लोकतंत्र’ के इसी मूलमंत्र को साकार करने के लिए  जनता इन जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़े, देखे और अपने मताधिकार का प्रयोग जिम्मेदारी से करे। अभ्यर्थियों की आपराधिक पृष्ठभूमि की सार्वजनिक सूचना केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा का माध्यम है। यह मतदाताओं को सजग बनाती है, शासन प्रणाली को पारदर्शी बनाती है तथा लोकतांत्रिक मूल्यों एवं आदर्शों को मजबूती प्रदान  करता है। भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में यह कदम एक मजबूत और नैतिक राजनीतिक संस्कृति की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। इससे न केवल चुनाव की गरिमा और विश्वसनीयता बनी रहेगी, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी नई ऊर्जा मिलेगी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!