जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आत्मा (ATMA) आत्मा (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण) के शासी परिषद की बैठक आयोजित
कृषि को केवल पारंपरिक खेती तक सीमित न रखकर इसे व्यावसायिक खेती के रूप में आगे बढ़ाने की आवश्यकता- रिची पांडेय, जिलाधिकारी

ध्रुव कुमार सिंह, सीतामढ़ी, बिहार, ०१ सितम्बर
जिलाधिकारी रिची पांडेय की अध्यक्षता में सीतामढ़ी समाहरणालय स्थित विमर्श सभा कक्ष में आत्मा (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण) के शासी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, डीपीआरओ कमल सिंह, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे और सभी ने अपने-अपने विभागीय योजनाओं एवं संभावनाओं की जानकारी जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की। बैठक में वित्तीय वर्ष हेतु कार्य योजना का अनुमोदन किया गया तथा आगामी कृषि गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा आत्मा योजनांतर्गत परिभ्रमण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम, किसान गोष्ठी, किसान पाठशाला एवं अन्य क्रियान्वित की जाने वाली योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री पांडेय ने कहा कि जिले में कृषि को केवल पारंपरिक खेती तक सीमित न रखकर इसे व्यावसायिक खेती के रूप में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि किसान भाई-बहनों को हाई वैल्यू क्रॉप्स (High Value Crops) जैसे फल, सब्जी, फूल, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती की ओर प्रेरित किया जाए। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि जिले की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए कृषि विभाग, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी तथा उद्योग विभागों के बीच आपसी समन्वय अत्यंत आवश्यक है। समन्वित प्रयासों से किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, बाजार उपलब्धता और प्रसंस्करण की सुविधा सुनिश्चित कराई जा सकती है। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों के लिए आधुनिक तकनीक आधारित प्रशिक्षण, फील्ड विज़िट और नवाचारों को बढ़ावा दिया जाए ताकि उत्पादन में गुणात्मक सुधार हो। जिलाधिकारी श्री पांडेय ने कहा की जिले में व्यावसायिक खेती को नई दिशा देने की जरूरत है। पारंपरिक फसलों के साथ-साथ यदि हम फल, सब्जी, फूल, मसाले और औषधीय पौधों की खेती पर विशेष ध्यान देंगे तो किसान अधिक लाभ कमा सकेंगे। बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। प्रत्येक प्रखंड से कुछेक गांवों को मॉडल बनाकर वहां आधुनिक खेती के सफल प्रयोग कराएं, ताकि दूसरे किसान भी उससे प्रेरित होकर अपनाएं। आत्मा जैसी योजनाएं तभी सार्थक होंगी जब इनसे किसानों की आय में वास्तविक वृद्धि हो। उन्होंने यह भी कहा कि जिले के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित करना विभागीय अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए साथ ही, किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी समय पर मिले और उसका लाभ वे आसानी से प्राप्त कर सकें, इस दिशा में गंभीर प्रयास होना चाहिए।