जीविका से जुड़कर महिलाएं बदल रही हैं अपनी जिंदगी : सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी
आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहा है संगम संकुल स्तरीय संघ, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में हो रहा सराहनीय कार्य

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १६ सितम्बर
महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जीविका उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज कर रही है। इस योजना से जुड़ी महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर हो रही हैं बल्कि अपने परिवार और समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। खबड़ा स्थित एक निजी मैरिज हॉल में आयोजित संगम संकुल स्तरीय संघ की आम सभा में इस बदलाव की तस्वीर स्पष्ट रूप से सामने आई। कार्यक्रम में जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम), विभिन्न महिला समूहों से जुड़ी हजारों दीदियाँ एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। सभा को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी श्री सेन ने कहा कि जीविका के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक प्रगति एवं आत्मनिर्भरता का नया मार्ग प्रशस्त हुआ है। जिलाधिकारी ने कहा कि जीविका केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान का सबसे बड़ा आंदोलन है।जीविका से जुड़कर महिलाएं आज न केवल अपने सपनों को साकार कर रही हैं बल्कि समाज में आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की नई मिसाल प्रस्तुत कर रही हैं। उन्होंने कहा की कल तक घूंघट की आड़ में रहने वाली महिलाएं आज कंप्यूटर पर कार्य कर रही हैं, हिसाब-किताब संभाल रही हैं और अपने सपनों को साकार कर रही हैं। यह तस्वीर जीविका की सफलता और समाज में आ रहे परिवर्तन का प्रतीक है। जिलाधिकारी ने बताया कि संगम संकुल स्तरीय संघ से जुड़ी लगभग 7 हजार महिलाएं आज स्व-रोजगार कर रही हैं। संघ प्रतिवर्ष 20 से 25 लाख रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर रहा है, जो आत्मनिर्भरता का जीवंत उदाहरण है। हाल ही में संगम को “आत्मनिर्भर संगठन अवार्ड 2024” प्राप्त हुआ है, जो जिले के लिए गर्व की बात है। उन्होंने महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि संगम जैसे संगठन जिले की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि जीविका समूहों में और अधिक पारदर्शिता लाई जाये तथा इनके दायरे को व्यापक बनाया जाये ताकि अधिक से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कई ऐतिहासिक निर्णय लेकर कार्यरूप दिया गया है तथा सतत प्रयत्नशील है। उन्होंने आह्वान किया कि आयुष्मान भारत कार्ड से महिलाएं 5 लाख रुपये तक का नि:शुल्क इलाज करा सकती हैं।125 यूनिट निःशुल्क बिजली से घरेलू खर्चों में राहत मिली है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये की गई है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को अपनी पसंद के रोजगार हेतु प्रथम किश्त के रूप में 10,000 रुपये तथा रोजगार प्राप्त करने के बाद 2 लाख रू तक की अतिरिक्त सहायता का प्रावधान किया गया है। युवतियों को कुशल युवा कार्यक्रम और बच्चों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (4 लाख तक) का लाभ मिल रहा है। जिलाधिकारी ने महिलाओं विशेष कर जीविका दीदियों से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं से लाभ उठाने की अपील की। आम सभा में यह भी बताया गया कि संगम संकुल स्तरीय संघ से जुड़ी अनेक महिलाएं, जिन्होंने गृहस्थी की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी, अब पुनः शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इस वर्ष लगभग 200 महिलाओं को मैट्रिक, इंटरमीडिएट एवं अन्य कोर्स के लिए प्रेरित किया गया है। संगम द्वारा “विद्या निधि” की स्थापना की गई है, जिसके माध्यम से गरीब एवं वंचित परिवारों के बच्चों को पढ़ाई में आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। संगठन महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे मनरेगा, पशुपालन, स्वास्थ्य, आवास, बीमा एवं शौचालय निर्माण से भी जोड़ रहा है। महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए “दीदी अधिकार केंद्र” की स्थापना की गई है, जहां घरेलू हिंसा और लैंगिक समानता से जुड़े मामलों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित : संगम संकुल स्तरीय संघ को आत्मनिर्भर संगठन अवार्ड 2022 एवं 2024 से सम्मानित किया गया। 674 स्वयं सहायता समूह (SHG) और 8487 सदस्य संगठन से जुड़े। इस वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ 22 लाख 50 हजार रुपये का ऋण वितरण 44 ग्राम संगठनों को किया गया। वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन और दिव्यांग पेंशन के अंतर्गत कुल 1736 महिलाओं को लाभ मिला। इस वर्ष 2302 सदस्यों को मनरेगा जॉब कार्ड उपलब्ध कराया गया। 8471 आयुष्मान कार्ड बनवाने का लक्ष्य पूरा हुआ। संगम विद्या निधि से 27 बच्चों को लगभग 1.53 लाख रुपये की सहायता दी गई। सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सहायता केंद्र खोला गया, जहां 4 जीविका स्वास्थ्य मित्र कार्यरत हैं। अब तक लगभग 20 हजार मरीजों को सहयोग मिला। चमकी बुखार से बचाव हेतु 8600 बच्चों का सर्वेक्षण पूरा किया गया। सदर अस्पताल में हाउसकीपिंग और लॉन्ड्री सेवा प्रारंभ की गई, जिससे 166 महिलाओं को रोजगार मिला। आम सभा में वर्ष भर का वित्तीय लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया तथा आगामी वर्ष के लिए कार्य-योजना बनाई गई। कार्यक्रम का समापन दीदियों की गगनभेदी तालियों और उत्साहपूर्ण सहभागिता के बीच हुआ। संगम संकुल स्तरीय संघ ने यह प्रमाणित किया है कि यदि अवसर और सहयोग मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।





