अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) एवं मैन्युअल स्कैवेंजर रोजगार निषेध अधिनियम की जिला स्तरीय समिति की बैठक सम्पन्न
जिलाधिकारी द्वारा पीड़ितों को राहत/मुआवजा भुगतान, लंबित मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १३ सितम्बर
मुजफ्फरपुर समाहरणालय सभागार में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 तथा मैन्युअल स्कैवेंजर रोजगार निषेध एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की तृतीय बैठक जिलाधिकारी सह अध्यक्ष सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में विधायक विजेंद्र चौधरी, वरीय पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार, उप- विकास आयुक्त श्रेष्ठ अनुपम, सिविल सर्जन डॉ.अजय कुमार, अपर समाहर्ता (राजस्व) कुमार प्रशांत, जिला कल्याण पदाधिकारी अमरेन्द्र मिश्र, अनुसूचित जाति-जनजाति थाना के पदाधिकारी तथा समिति सदस्य कपिलदेव राम, जयनंदन प्रसाद, गनौर पासवान, सुबोध कुमार पांडे, सुनील कुमार सहित अन्य सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा, अत्याचार पीड़ितों को समय पर राहत एवं मुआवजा प्रदान करने तथा मैन्युअल स्कैवेंजर प्रथा के संपूर्ण उन्मूलन हेतु की गई प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि चालू वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत पीड़ितों एवं उनके आश्रितों को राहत/मुआवजा भुगतान हेतु कुल 150 लाख रुपये व्यय किए गए हैं। अब तक जिले में दर्ज 148 मामलों में पीड़ितों को मुआवजा उपलब्ध कराया गया है साथ ही, आरोप पत्र समर्पित 78 मामलों में पात्र लाभुकों को द्वितीय किस्त का भुगतान सुनिश्चित कराया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि हत्या के मामलों में मृतकों के 66 आश्रितों को मासिक पेंशन भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इससे पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहयोग प्राप्त हो रहा है। इसके अतिरिक्त, चार मामलों में मृतक के आश्रितों को अधिनियम के तहत सरकारी नौकरी दी गई है। संबंधित नियुक्ति प्रखंड, अंचल एवं अनुमंडल कार्यालयो में वे नियुक्त हैं। जिले में दर्ज कुछ मामलों में आरोप पत्र विगत तीन वर्षों से न्यायालय में लंबित है। जिलाधिकारी श्री सेन ने सभी थानाध्यक्षों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे सभी लंबित मामलों में शीघ्र आरोप पत्र समर्पित किया जाए, ताकि पीड़ित पक्ष को न्याय समय पर मिल सके और मुआवजा भुगतान की शेष प्रक्रिया भी सुचारू रूप से पूरी हो सके। मैन्युअल स्कैवेंजर रोजगार निषेध एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 के अंतर्गत कराए गए सर्वेक्षण की जानकारी बैठक में दी गई। इसमें बताया गया कि मुजफ्फरपुर जिले में मैन्युअल स्कैवेंजर की संख्या शून्य है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि मैन्युअल स्कैवेंजर प्रथा की रोकथाम एवं पुनरावृत्ति की संभावना को लेकर विशेष निगरानी रखी जाए। सफाई कार्यों में आधुनिक तकनीकी साधन एवं मशीनों का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसी प्रकार की मानवीय जोखिमपूर्ण स्थिति उत्पन्न न हो। बैठक में जिलाधिकारी सह अध्यक्ष श्री सेन ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज प्रत्येक मामले की गंभीरता से समीक्षा की जाये। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में कोई शिथिलता न बरती जाए। सभी थानाध्यक्ष एवं संबंधित पदाधिकारी लंबित मामलों में शीघ्रतम कार्रवाई सुनिश्चित करें। मैन्युअल स्कैवेंजर प्रथा की पुनरावृत्ति रोकने हेतु सतत् निगरानी की जाये तथा सफाई कार्य में आधुनिक मशीनों एवं तकनीकी साधनों का प्रयोग किया जाए। बैठक के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा और मैन्युअल स्कैवेंजर प्रथा के संपूर्ण उन्मूलन के लिए जिला प्रशासन गंभीर और संवेदनशील है। राहत, मुआवजा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करने की दिशा में जिला प्रशासन निरंतर प्रयासरत रहेगा।




