“पुलिस पाठशाला” में शिक्षा की नई अलख: वंचित बच्चों को मिल रहा उज्ज्वल भविष्य का अवसर “नया सवेरा” के माध्यम से बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगा रही है पुलिस पाठशाला

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, ०२ अगस्त
मुजफ्फरपुर शहर के चतुर्भुज स्थान के पास कन्हौली में संचालित पुलिस पाठशाला सामाजिक पुनर्निर्माण की एक प्रेरणादायी मिसाल बन गई है। “नया सवेरा” नामक इस पहल का संचालन उन बच्चों के लिए किया जा रहा है जिनके माता-पिता किसी न किसी कारणवश समाज की मुख्यधारा से कट गए हैं और असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। यह पाठशाला पुलिस विभाग की एक अभिनव सामाजिक पहल है, जिसका उद्देश्य इन बच्चों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें सम्मानजनक, आत्मनिर्भर और उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करना है। यहाँ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व की भी सीख दी जा रही है। यहां शाम 5 से 7 बजे तक पढ़ाई होती है। सभी बच्चे दिन में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और शाम में इस केंद्र पर आकर अतिरिक्त ज्ञान अर्जित करते हैं। इस केंद्र में कई पुलिस अधिकारी समय निकालकर स्वयं बच्चों को पढ़ाते हैं और उनके साथ संवाद कर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। 31 जुलाई से 14 अगस्त तक इन बच्चों और उनके परिवारों के पुनर्वास हेतु एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में आज समाहरणालय में जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन एवं वरीय पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार की उपस्थिति में एक विशेष इंटरेक्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान लगभग 80 बच्चों से संवाद कर उन्हें प्रेरित किया गया। बच्चों ने अधिकारियों से सवाल पूछे – “आप यहां तक कैसे पहुंचे?” जवाब में जिलाधिकारी श्री सेन ने बच्चों को अपनी मेहनत, लगन और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में बताया और उन्हें भी जीवन में ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों से कहा, “सपने देखो, मेहनत करो, और पढ़ाई को अपना पहला लक्ष्य बनाओ। यही तुम्हें आगे लेकर जाएगा।” जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बच्चों के माता-पिता को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं आधार कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, श्रमिक पंजीकरण, हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग आदि से जोड़ा जाए। उन्हें जीविका का वर्कशॉप कराने को कहा। इन परिवार के बच्चों के लिए विशेष वर्कशॉप और नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत, चित्रकारी जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जाए ताकि बच्चों की प्रतिभा को मंच मिल सके। कार्यक्रम में नगर पुलिस अधीक्षक कोटा किरण, परीक्ष्यमान पुलिस अधीक्षक शिवानी श्रेष्ठा सहित कई अन्य प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे “अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाली यात्रा” बताया। स्थानीय नागरिक, सामाजिक संगठन एवं अभिभावक भी इस पहल से जुड़ते जा रहे हैं और एकजुट होकर बच्चों को सकारात्मक माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहल साबित करती है कि जब पुलिस और प्रशासन संवेदनशील होकर कार्य करें, तो समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन संभव है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी प्रमोद कुमार नें बताया की “पुलिस पाठशाला – शिक्षा के माध्यम से उम्मीद की नई सुबह” है. यह पहल सिर्फ एक शैक्षणिक केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक मशाल है, जो उन बच्चों की ज़िंदगी को रोशन कर रही है जो कभी अंधकार की ओर बढ़ रहे थे।