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बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा “ग्लोबल पर्सपेक्टिव इन साइकोलॉजी: ब्रिजिंग माइंड्स, कल्चर, इनोवेशन एंड इट्स इंपैक्ट” विषयक इंटरनेशनल कांफ्रेंस का हुआ शुभारंभ

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, २८ अगस्त

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस का दीप प्रज्ज्वलन के साथ उद्घाटन कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, प्रो.गिरिश्वर मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि सह वक्ता प्रो.तुषार सिंह, बीएचयू,  बी.आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय तथा कांफ्रेंस के संयोजक प्रो.रजनीश कुमार गुप्ता के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय कुलगीत गायन के पश्चात अतिथियों का स्वागत के पश्चात् संयोजक सह विभागाध्यक्ष डॉ.रजनीश कुमार गुप्ता ने प्रो.गिरिश्वर मिश्र के एक समाज मनोवैज्ञानिक के रूप में वैश्विक पहचान पर प्रकाश डाला। दूसरी ओर, प्रो.तुषार सिंह का स्वागत करते हुए बताया कि उन्हें मनोविज्ञान का उद्भट विद्वान और नेशनल एकेडमी ऑफ सायकोलोजी का अध्यक्ष के रूप में भी परिचय प्रस्तुत किया। इस मौके पर कुलपति प्रो.राय ने विभागाध्यक्ष प्रो.गुप्ता को एक साल के भीतर दो नेशनल सेमिनार और एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस कराने और शैक्षणिक गतिविधियों में विभाग के प्राध्यापकों के लगातार लगे रहने की प्रशंसा की। कुलपति ने मुख्य अतिथि को अपने परिवार का सदस्य जैसा बताया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ.विकास कुमार द्वारा लिखित तीन पुस्तक सामान्य मनोविज्ञान का परिचय, विकासात्मक मनोविज्ञान का परिचय और आधुनिक पर्यावरणीय मनोविज्ञान का विमोचन किया गया साथ ही, डॉ.रेखा श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक “संचार के रंग व्यक्तित्व के ढंग” का भी विमोचन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो.गिरिश्वर मिश्र ने अपने उद्बोधन में मनोविज्ञान के औपनिवेशीकरन पर प्रकाश डालते हुए अपने सामाजिक, सांस्कृतिक एवं इकोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य में शोध करने पर बल दिया साथ ही, उन्होंने बताया कि कैसे पश्चिम वाले अपने “स्व” की तलाश ” में स्वयं को खोते जा रहे हैं जबकि भारतीय ज्ञान दर्शन में अहम् ब्रह्स्मि” के तत्व पहले से ही समावेशित हैं। उद्घाटन सत्र के दूसरे प्रवक्ता डॉ.तुषार सिंह ने बताया कि कैसे हर साल प्रयागराज में लगने वाले”माघ मेला” ये हज़ारों लाखों की भीड़ जुटने के बावजूद लोग स्वयं को अनुशासित कर अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ रख पाते हैं। विश्वविद्यालय कुलगीत के रचयिता विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक व कवि डॉ राकेश रंजन और कुलगीत को संगीतबद्ध करने वाले प्रख्यात संगीतकार डॉ.राकेश कुमार मिश्र को कुलपति द्वारा पच्चीस हजार का चेक देकर पुरस्कृत किया गया। उद्धाटन सत्र के समापन का धन्यवाद ज्ञापन डॉ.आभा रानी सिन्हा किया। मौके पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विकास कुमार, डॉ.तुलिका सिंह, डॉ.सुनीता कुमारी, अर्चना सिंह, डॉ.सारिका चौरसिया, डॉ.रेखा श्रीवास्तव, डॉ.पयोली, विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, दुरस्थ शिक्षा के उप-निदेशक डॉ.कांतेश कुमार, डॉ.ललित किशोर, डॉ.सतीश कुमार, डॉ.रत्नेश मिश्रा, आनन्द,पवन, कृष्ण, रोशनी, शिवानी, आदित्य पीएचडी शोधार्थी गुंजा, अपूर्वा, पूर्णिमा, पंकज, रमन, रौनक, सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं  उपस्थित रहे। कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में दो सेशन को आयोजित किया गया जिसके दौरान विभिन्न प्रतिभागियों ने अपने अपने पेपर/आलेख अंतरसांस्कृतिक संबंध एवं देशज मनोविज्ञान, एवं मनोविज्ञान एवं पब्लिक लाइफ, वातावरण एवं सामुदायिक मनोविज्ञान जैसे विषयों पर प्रस्तुत किया। प्रथम सेशन की अध्यक्षता एमडीडीएम की प्राचार्या प्रो.अलका जायसवाल एवं उपाध्यक्षता डॉ.अंकिता सिंह ने किया. जबकि दूसरे सेशन की अध्यक्षता डॉ.वीणा और डॉ.सुबालाल पासवान ने किया। मंच का संचालन कांफ्रेंस की आयोजन सचिव डॉ.तुलिका सिंह ने किया।

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