विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर ग्रामीण श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शिविर-सह-कार्यशाला आयोजित
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य लेने पर नियोजक को ₹20000 से ₹50000 तक का जुर्माना एवं 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा अथवा दोनों दंड देने का प्रावधान- जिला पदाधिकारी

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १२ जून
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर गन्नीपुर स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय परिसर में ग्रामीण श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शिविर-सह-कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन द्वारा दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में श्रम अधीक्षक अजय कुमार, जिला नियोजन पदाधिकारी श्वेता वशिष्ठ सहित श्रम विभाग के सभी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी एवं कर्मिंगण तथा सभी पंचायतों से भाग ले रहे श्रमिकगण उपस्थित थे। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बाल श्रम को सामाजिक अभिशाप बताते हुए मुजफ्फरपुर के प्रबुद्ध एवं जिम्मेदार नागरिकों से जिले को बाल श्रम से मुक्त करने की अपील की। उन्होंने शिविर में मौजूद सभी व्यक्तियों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कार्य न लेने तथा पूरी ईमानदारी, संवेदनशीलता और सामाजिक दायित्व के साथ बाल श्रम मुक्ति के लिए प्रयास करने की शपथ दिलाई। जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराने हेतु सरकार द्वारा जन जागरूकता एवं छापेमारी अभियान जारी है। किंतु इसके लिए समाज के हर जिम्मेदार नागरिक को सजग होने तथा तत्पर होकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बच्चों की पढ़ाई- लिखाई तथा कौशल विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। बाल श्रम को दंडनीय अपराध बताते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य लेने पर नियोजक को ₹20000 से ₹50000 तक का जुर्माना एवं 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा अथवा दोनों दंड देने का प्रावधान है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार दोषी नियोजक को 20000 रु पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में देना होगा अन्यथा सर्टिफिकेट केस दायर कर यह रकम वसूली जाएगी। जिलाधिकारी ने श्रमिकों को निबंधन कराने, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत होने एवं लाभ उठाने पर बल दिया। बाल श्रम से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत के लिए टॉल फ्री नंबर 1098 डायल किया जा सकता है। इस कार्यशाला में सभी पंचायत से एक-एक श्रमिक भाग लिये तथा उन्हें श्रम विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं की जानकारी दी गई तथा उनसे अपने पंचायत के अन्य श्रमिकों को भी जानकारी देने तथा सरकारी योजना से लाभ उठाने की अपील की गई। प्रशिक्षण में बताया गया कि श्रमिकों को एक बार निबंधन करा लेने के उपरांत उन्हें सरकार की 16 प्रकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा। बाल श्रम निषेध विषय पर आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान अपने वाले छात्र-छात्राओं को जिलाधिकारी द्वारा पुरस्कृत किया गया। प्रथम स्थान पर श्रुति कुमारी हरि सिंह उच्च विद्यालय छपरा कांटी, द्वितीय स्थान पर आयुष राज राजकीय मध्य विद्यालय रापेरूपे बोचहा ,तीसरे स्थान पर अभिलाषा कुमारी , आर. के. टी. उच्च विद्यालय, बेरई कटरा रही. बाल श्रम से विमुक्त किए गए तीन बच्चों को तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में जिला पदाधिकारी द्वारा प्रत्येक को ₹3000 का चेक वितरित किया गया। बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना 2011, संशोधित 2024 के अंतर्गत स्वाभाविक मृत्यु में 50000, दुर्घटना मृत्यु में 2 लाख तथा बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित विवाह योजना, मातृत्व लाभ, नगद पुरस्कार योजना, साइकिल क्रय योजना, स्वाभाविक मृत्यु, दुर्घटना मृत्यु आदि योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। यदि किसी निबंधित महिला कामगार का प्रथम दो प्रसव होता है तो उसे तीन माह के मजदूरी तुल्य राशि प्रदान की जाती है। इस तरह लड़की के विवाह होने के उपरांत 50000 राशि, किसी निबंधित श्रमिक की स्वाभाविक मृत्यु पर 2 लाख, दुर्घटना मृत्यु पर 4 लाख, श्रमिकों के बच्चों के मैट्रिक/ इंटर में 60% से अधिक अंक लाने पर 10000 से 25000 रुपए की राशि, भवन मरमती हेतु 20000 की राशि की व्यवस्था आदि के संबंध में श्रमिकों को विस्तृत जानकारी दी गई। इस क्रम में जिलाधिकारी ने सिकंदरपुर स्थित पर्यवेक्षण गृह एवं बाल गृह का भ्रमण कर वस्तुस्थिति का जायजा लिया। विदित हो कि पर्यवेक्षण गृह में 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के विधि विवादित बच्चों को रखा जाता है। मुजफ्फरपुर जिला स्थित पर्यवेक्षण गृह में 77 बच्चे हैं। जबकि बाल गृह में भूले- भटके बच्चों के संरक्षण और देखरेख के लिए रखा जाता है। अभी बाल गृह में 60 बच्चे हैं। बच्चों की सुरक्षा संरक्षण एवं विकास हेतु इन गृह में उनके लिए मुफ्त आवासन, खान-पान, पढ़ाई-लिखाई तथा जीवन कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों के जीवन में बदलाव आये और अपने हुनर के माध्यम से रोजगार पाये तथा समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सके। जिलाधिकारी ने सुरक्षा मानक, बच्चों के लिए उपलब्ध सुविधाओं आदि का निरीक्षण किया तथा बच्चों से भी आवश्यक फीडबैक प्राप्त किया। उन्होंने मौके पर मौजूद जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को सतत एवं प्रभावी मॉनिटरिंग करते रहने का निर्देश दिया। दूसरी ओर खबड़ा स्थित दत्तक ग्रहण संस्थान का निरीक्षण उप विकास आयुक्त ने किया। इस संस्थान में 0-6 वर्ष के अनाथ एवं बेसहारा बच्चों को संरक्षण एवं देखभाल के लिए रखा जाता है। अभी 10 बच्चे हैं। सरकार द्वारा निर्धारित विधिक प्रक्रिया एवं प्रावधान के तहत बच्चों को गोद दिया जा सकता है।