हमारी जिम्मेदारी सिर्फ कानून की पालना तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाना है जिसमें हर महिला खुद को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे- ममता कुमारी, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग
महिला सुरक्षा और अधिकारों को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने की जन सुनवाई, पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारियों संग की समीक्षा बैठक

ध्रुव कुमार सिंह, सीतामढ़ी, बिहार, २४ जून
सीतामढ़ी समाहरणालय स्थित परिचर्चा भवन में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी के द्वारा जन सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न हिस्सों से पहुंची महिलाओं की शिकायतों की सुनवाई की गई। कुल लगभग 60 से अधिक आवेदनों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई तथा संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई हेतु निर्देशित किया गया। श्रीमती ममता ने प्रत्येक प्रकरण को गंभीरता से सुनते हुए पीड़ित महिलाओं को आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय महिला आयोग उनके अधिकारों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध है और हर संभव मदद प्रदान की जाएगी। जन सुनवाई के पश्चात उन्होंने जिलाधिकारी रिची पांडेय, पुलिस अधीक्षक अमित रंजन, सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, प्रभारी सिविल सर्जन, डीईओ, डीपीओ ICDS, सभी थाना प्रभारियों सहित जिला स्तरीय अन्य प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, साइबर क्राइम, दहेज प्रताड़ना सहित अन्य संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने कहा की हमारी जिम्मेदारी सिर्फ कानून की पालना तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाना है जिसमें हर महिला खुद को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे। जब एक महिला पुलिस स्टेशन में जाती है, तो वह केवल एक केस नहीं लेकर आती है – वह अपने सम्मान, अपने आत्म-सम्मान और अपने जीवन की रक्षा की अपेक्षा लेकर आती है। इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम उसके साथ संवेदनशीलता से पेश आएं, न्यायसंगत ढंग से उसकी बात को सुने और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें। हमें यह समझना होगा कि यदि एक भी महिला अपने साथ हुए अन्याय को लेकर थाने जाने में डरती है, तो यह हमारे तंत्र की विफलता है।मैं आग्रह करती हूं कि आपसी समन्वय, संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करते हुए महिलाओं के लिए एक ऐसा वातावरण बनाएं जो उन्हें सुरक्षा, भरोसा और सम्मान दे। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि महिला आयोग में दर्ज प्रकरण केवल कागज़ पर नहीं, बल्कि किसी के जीवन की पीड़ा और प्रताड़ना की कहानी होते हैं।” उन्होंने कहा कि हमारी कोशिशें तभी सफल मानी जाएंगी जब पीड़ित महिला को न्याय मिले और समाज में महिलाओं के प्रति सोच बदले। हमारी जवाबदेही है कि हम उसे सुरक्षित, सम्मानजनक और न्यायसंगत वातावरण प्रदान करें। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी थाना प्रभारियों को महिलाओं से जुड़ी शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। महिला आयोग में दर्ज मामलों को गंभीरता से लेते हुए समयबद्ध कार्रवाई की जाए। थानों में आनेवाली पीड़िताओं की कानूनी सहायता एवं काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए। महिला सुरक्षा से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर समाज में सकारात्मक वातावरण तैयार किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि महिलाओं को लेकर जो साइबर क्राइम हो रहे हैं उस पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में पूरी गंभीरता के साथ कार्य करना सुनिश्चित करें। मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य नें कहा की शादी के तुरंत बाद तलाक की नौबत आ जा रही है। तुनक मिजाजी जोड़े रिश्तो में अस्थिरता ला रहे हैं।जिन मसलों को बातों से सुलझाया जा सकता है वहां अत्यधिक विवाद उत्पन्न हो रहा है। पति-पत्नी के बीच तालमेल की कमी है। यदि वे एक दूसरे की पसंद/सहमति और आकांक्षाओं को समझ ले तो घरेलू मामले कोर्ट कचहरी तक पहुंचाने की नौबत नहीं आएगी। इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग “तेरे मेरे सपने*नामक कार्यक्रम का संचालन कर रहा है जिसमें शादी से पूर्व जोड़े जाकर परामर्श ले सकते हैं ।उक्त बात माननीया सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग श्रीमती ममता कुमारी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य भर में काउंसलिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध में दो तरह के मामले ज्यादा बढ़े हैं। इनमें घरेलू हिंसा और साइबर से जुड़े मामले हैं। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता आई है।उन्हें अपना अधिकारों और किस स्तर पर शिकायत करनी है।इसकी जानकारी मिल रही है।उन्होंने कहा कि बिहार की महिलाओं को किसी मामले में शिकायत के लिए दिल्ली तक न आना पड़े, इसीलिए राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम स्वयं यहां आई है।