भारत ने पहलगाम का जवाब श्रेष्ठ मापदंड के आधार पर दिया, जिनको सबक सिखाना था, उनको सही तरीके से सबक सिखाया, सबूत कोई नहीं माँगता आज के दिन; सबूत दुश्मन ने दे दिया- जगदीप धनखड़, उप-राष्ट्रपति
बिहार शिक्षा का वैश्विक केंद्र था, यहां महान विश्वविद्यालयों का समूह था, नालन्दा, विक्रमशिला, ओदन्तपुरी यह तीन मूर्ति हैं, जो हमें हमेशा प्रोत्साहित करेगी- उप-राष्ट्रपति

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, २४ जून
मुजफ्फरपुर में एल.एन. मिश्रा कॉलेज के 52वें स्थापना दिवस समारोह में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शामिल हुए। श्री धनखड़ ने एल.एन. मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के स्थापना दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता करते हुए वैश्विक मंच पर भारत की युवा शक्ति के बारे में बात की। उन्होंने कहा की जब बात सामाजिक न्याय की आती है बिहार को कैसे भूल सकते हैं! मेरा सौभाग्य था कि मैं केंद्र में मंत्री था जब मंडल आयोग को लागू किया गया। मेरा परम सौभाग्य था कि आज मैं भारत का उप-राष्ट्रपति और राज्य सभा का सभापति हूं जब कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न दिया गया। उन्होंने कहा की कल का दिन, 25 जून आज से 50 साल पहले बड़ा काला दिवस था। आपातकाल की काली छाया ने प्रजातांत्रिक मूल्यों को एकदम ख़त्म कर दिया। उसकी जागृति कहाँ से उठी? श्री जयप्रकाश नारायण उन्होंने शुरुआत की, सम्पूर्ण क्रांति की। मुझे ऐसी भूमि में आकर बहुत अच्छा लगता है। इसीलिए तय किया गया है कि 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा की संवैधानिक विरासत डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के साथ एक बड़ी मानक उपलब्धि हासिल की। राज्यसभा के सभापति के रूप में, मैं इतिहास के इन महान लोगों का सदैव आभारी हूं, जो हमें हमेशा वह रोशनी दिखाते हैं जिसका हमें अनुसरण करने की आवश्यकता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत को अब इस देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा की जब सोमनाथ मंदिर की बात आती है, तो आपके सपूत की याद आती है। पहले तो भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने उसको नया रूप देने में बड़ी भूमिका निभाई फिर डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने 1951 में सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया। कुछ लोगों ने आपत्ति की, पर आपका सपूत डटा रहा और ऐसे ही डटा रहा जैसे संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डटा रहा। उन्होंने संविधान सभा को एक नया आयाम दिया। संविधान सभा ने संवाद, बहस, चर्चा, विचार-विमर्श का प्रदर्शन किया किन्तु कभी अशांति और व्यवधान नहीं हुआ। यहाँ से मैं कहना चाहूँगा आज के विधायकों और सांसदों को की विधायिका और संसद प्रजातंत्र के मंदिर हैं, वहाँ हमें आम जन की पूजा करनी चाहिए और आम जन के कष्टों का निराकरण करना चाहिए. उप-राष्ट्रपति नें कहा की बिहार शिक्षा का वैश्विक केंद्र था, यहां महान विश्वविद्यालयों का समूह था। नालन्दा, विक्रमशिला, ओदन्तपुरी यह तीन मूर्ति हैं, जो हमें हमेशा प्रोत्साहित करेगी। वे सदैव हमारे लिए प्रकाश की किरण रहेंगे,ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, हार्वर्ड सबको एक साथ मिला लो तो भी नालंदा का मुकाबला नहीं होता है! पांचवीं शताब्दी में नालंदा एक आवासीय विश्वविद्यालय और बौद्ध धर्म का एक महान केंद्र था। 800 साल पहले तक, जब उत्पात नहीं हुआ, तब तक नालंदा में चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मध्य एशिया से लोग आते थे। 10,000 विद्यार्थी और 2,000 शिक्षक थे। वो सिर्फ विश्विद्यालय नहीं था; नालंदा अपने आप में सभ्यता थी। और इसी के साथ आठवीं शताब्दी में विक्रमशिला था ओदन्तपुरी भी उसी काल में हुआ करता था। आजादी की बात करूं तो चंपारण सत्याग्रह बिहार की भूमि पर हुआ। 1917 में महात्मा गांधी जी ने अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन किया। किसान की समस्या को उन्होंने राष्ट्र हित का आंदोलन बना दिया। उप-राष्ट्रपति नें कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सिर्फ एक नीति नहीं है। यह एक सभ्यतागत पुनर्जागरण और भारत को एक शैक्षणिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का राष्ट्र निर्माण मिशन है। वैदिक सिद्धांतों में कहा गया है – ‘सा विद्या या विमुक्तये’; ज्ञान मुक्ति का मार्ग है। हमारे देश में शिक्षा सदैव मूल्य आधारित रही है। कभी भी, किसी भी कालखण्ड में शिक्षा का ना तो व्यावसायीकरण हुआ और ना ही वस्तुकरण हुआ। हमारा जो शिक्षा का सिद्धांत है, वो चरित्र निर्माण करता है, हमें मूल्य प्रदान करता है। मैं आज के विषय की बहुत सराहना करता हूँ: ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का परिप्रेक्ष्य’। यह विषय मौलिक महत्व का है, महत्वपूर्ण परिणाम है और यह हमारे लोकतंत्र और विकास को परिभाषित करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य कुशल पेशेवरों, पूर्ण नागरिकों, नौकरी सृजकों, बुद्धिमान मनुष्यों का पोषण करना और इस राष्ट्र में हम जो चाहते हैं उसका सच्चा प्रतिबिंब बनाना है। श्री धनखड़ नें कहा की बिहार भारत की दार्शनिक नींव का जन्मस्थान है। बिहार की वह भूमि है जहां बौद्ध धर्म पनपा, यह वह भूमि है जहां भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह जैन धर्म की भूमि है, जहां भगवान महावीर को आध्यात्मिक जागृति मिली। कार्यक्रम में मौजूद बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने राष्ट्र निर्माण के लिए युवा प्रतिभाओं को निखारने में कॉलेज की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मंचीय अर्तिथि के रूप में बी.आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र राय और बिहार सरकार के मंत्री केदार गुप्ता शामिल रहे. उप-राष्ट्रपति के मुजफ्फरपुर आगमन पर जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन एवं वरीय पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार, अपर समाहर्ता राजस्व संजीव कुमार अपर समाहर्ता विधि व्यवस्था सुधीर कुमार सिन्हा, अनुमंडल पदाधिकारी पश्चिमी श्रेयाश्री, अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी अमित कुमार पुलिस उपाधीक्षक नीलाभ कृष्ण सहित अन्य प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे।