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बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति ने जातिवाद के आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनकी सेहत को लेकर जो अफवाहें थीं वह भी बिलकुल गलत है, हम बिलकुल स्वस्थ हैं

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, ०४ अप्रैल

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय  के कुलपति ने जातिवाद के आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनकी सेहत को लेकर जो अफवाहें थीं वह भी बिलकुल गलत है, हम बिलकुल स्वस्थ  हैं। विश्वविद्यालय के अतिथिशाला में आयोजित संवाददाता सम्मेलन  में कुलपति डॉ.दिनेश चन्द्र राय नें जातिवाद के आरोपों पर कहा यह सब विश्वविद्यालय के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश है. डॉ.राय नें कहा की उनके दायित्व ग्रहण करनें के बाद से जब विश्वविद्यालय के दलालों के विरुद्ध अभियान चला तो यूनिवर्सिटी को दूषित करनें वालों द्वारा उनके विरुद्ध अनर्गल आरोप लगाया जानें लगा है. कुलपति प्रो.राय ने पत्रकारों से संवाद करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने प्रशासनिक, शैक्षिक, अकादमिक, सांस्कृतिक व खेलकूद के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि इन सकारात्मक प्रयासों से छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के मनोबल में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। कुलपति द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कुलानुशासक डॉ.बी.एस राय, संकायाध्यक्ष डॉ.सतीश कुमार राय, महाविद्यालय निरीक्षक डॉ.राजीव कुमार, उप-परीक्षा नियंत्रक डॉ.रेनुबाला, डॉ.कल्याण कुमार झा, डॉ.सुनील कुमार सिंह, डॉ.राजीव कुमार झा, डॉ.शर्तेंदु शेखर, डॉ.सत्येन्द्र कुमार सिंह ‘टुनटुन, डॉ.रमेश गुप्ता सहित विश्वविद्यालय के कई अन्य पदाधिकारी और शिक्षक शामिल थें. स्थानाभाव के कारण कई वरिष्ठ पत्रकारों को खड़े रहकर हीं समाचार संग्रह करना पड़ा. गौरतलब है की बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ राजभवन को विगत 24 मार्च को सामाजिक कार्यकर्त्ता रजनीश कुमार द्वारा 11 पन्नों में 37 बिन्दुओं का एक शिकायती पत्र दिया गया है। उक्त आवेदन में कुलपति द्वारा जातीय पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर खुलेआम जात-पात करनें सहित भ्रष्टाचार और अनियमितता सम्बन्धी आरोप लगते  हुए उच्च स्तरीय जांच समिति से निष्पक्ष जाँच कर कारवाई की मांग की गयी है. शिकायतकर्ता ने इस पत्र में 43 में से 17 कालेजों में पदस्थापित प्रिंसिपल के नाम और उनकी जाति का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया है की विश्वविद्यालय के 40 फीसदी कालेजों में केवल स्वजातीय प्राचार्य पदस्थापित किये गए हैं। कुलपति के अधीनस्थ विभिन्न कार्यालयों  में अधिकारियों के दस पदों पर भी स्वजातीय को पदस्थापित किया गया है. शिकायतकर्ता ने राजभवन को लिखे अपने पत्र में इससे सम्बन्धित सूची भी दी है. शिकायतकर्ता के अनुसार, कुलपति के पद पर जब इन्होनें दायित्व ग्रहण किया था तब प्राचार्या, रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर और प्राचार्य, लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर का कार्यकाल प्राचार्य के पद पर 5 वर्ष से अधिक हो गया था। फिर भी दोनों प्राचार्यों को उसी महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर बने रहने दिया गया है। क्योंकि ये दोनों भी उनके स्वजातीय हैं। शिकायकर्ता ने अपने पत्र में दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार व भेदभाव किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा है की डॉ. राममनोहर स्मारक लोहिया स्मारक महाविद्यालय की प्राचार्या (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) को वित्तीय कामकाज से प्रतिबंधित कर दिया गया है। जबकि उन पर कोई आरोप नहीं है। उनके ऊपर 16 सितंबर, 2024 से प्रतिबंध लगा रखा है। यह मुजफ्फरपुर शहर में एकमात्र महाविद्यालय है, जिसमें अधिकांश छात्र व छात्राएं दलित, शोषित, पिछड़े वर्ग के हैं। प्राचार्या के वित्तीय अधिकार पर प्रतिबंध लगा होने के कारण महाविद्यालय के सभी अनिवार्य कार्यों का संचालन बाधित है।  इसके अतिरिक्त शिकायकर्ता ने अपने पत्र में कुलपति के विरुद्ध दर्जनों, प्रशासनिक अनियमितता की भी शिकायत कि है. अब देखनें वाली बात है की क्या राजभवन कुलपति पर लगे आरोपों और कुलपति द्वारा पत्रकारों के माध्यम से सार्वजानिक की गयी उनकी सफाई और जबाबों पर क्या कोई कारवाई करेगा??

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