अधिसभा (Senate) विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए संवाद करनें वाली एक लोकतान्त्रिक संस्था- प्रो.दिनेश चन्द्र राय, कुलपति, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय
अधिसभा (Senate) की बैठक में 1050.02 करोड़ के बजट के साथ लगभग 02 दर्जन प्रस्तावों को मिली मंजूरी

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार, १२ अप्रैल
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के अधिसभा (Senate) की बैठक विश्वविद्यालय परिसर में स्थित केन्द्रीय पुस्तकालय भवन के अधिसभागार में कुलपति प्रो.दिनेश चन्द्र राय की अध्यक्षता में आहूत किया गया. अपनें अभिभाषण में कुलपति प्रो. राय नें कहा की अधिसभा विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए संवाद करनें वाली एक लोकतान्त्रिक संस्था है. अधिसभा के सदस्यों के विचार, उनके सुझाव से इसे बल मिलता है और यही बल विश्वविद्यालय की प्रगति यात्रा में पाथेय बनता है. उन्होंने कहा की कुलपति के रूप में मैनें हमेशा आपके प्रेरक विचारों का स्वागत और उनके कार्यान्वयन का प्रयत्न किया है. कुलपति नें अपनें एक वर्ष के कार्यकाल में किये गए कार्यों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा की मैनें अपनें कार्यकाल में आप सबके सहयोंग से विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास का जो सपना देखा है, वह कार्यान्वित हो रहा है. आप सबनें मुझे शक्ति दी है, दृष्टि दी है और दिशाबोध कराया है. आप सभी विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में सहयात्री बनकर हमें सम्बल दें, हमसे सार्थक संवाद करतें रहें, त्रुटियों पर टोकते रहें और लोकतान्त्रिक मर्यादा और मूल्यों को अक्षुण्ण रखें. कुलपति के अभिभाषण के पश्चात् अधिसभा की बैठक का संचालन करते हुए कुलसचिव डॉ.संजय कुमार द्वारा प्रस्तुत कार्यसूची के आलोक में डॉ.बी.एस राय नें विगत 14/03/2024 को सम्पन्न अधिसभा के वृत्त को अनुमोदित करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.शिवानन्द सिंह द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के आय-व्यय के 1050.02 करोड़ का प्राक्कलित बजट प्रस्तुत किया गया. डॉ.रवि कुमार श्रीवास्तव नें शैक्षिक वर्ष-2023-24 के वार्षिक प्रतिवेदन को अनुमोदित करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.नीलम कुमारी नें Amended Regulation 2022 of BHMS course एवं इसके पाठ्यक्रम को अकादमिक सत्र- 2022-23 से अधिगृहित करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.विरेंद्र चौधरी द्वारा नव-सम्बन्धन अथवा सम्बन्धन विस्तार हेतु 18 निजी महाविद्यालयों को अस्थायी सम्बन्धन का प्रस्ताव रखा गया, डॉ.ओमप्रकाश राय नें 13 निजी महाविद्यालयों को स्थायी सम्बद्धता अथवा सम्बन्धन दिर्घिकरण प्रदान करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.त्रिविक्रम नारायण सिंह द्वारा 03 अनुदानित महाविद्यालयों को विभिन्न संकायों/ विषयों में स्थायी/और अस्थायी सम्बद्धता प्रदान करनें का प्रस्ताव रखा गया, डॉ.आलोक प्रताप सिंह नें 01 अंगीभूत महाविद्यालय को विभिन्न संकायों/विषयों में स्थायी सम्बद्धता प्रदान करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.बी.एस राय द्वारा 01 संध्याकालीन निजी महाविद्यालय को स्थायी सम्बद्धता देनें का प्रस्ताव किया गया, डॉ.नीलम कुमारी द्वारा विश्वविद्यालय में भोजपुरी, प्रबन्धन, संगीत,दर्शनशास्त्र और विधि विषय में स्नातकोत्तर विभाग की स्थापना व संचालन स्वतंत्र इकाई के रूप में आरम्भ करनें का प्रस्ताव रखा, डॉ.रवि श्रीवास्तव द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालय विभागों एवं महाविद्यालयों में संचालित वोकेशनल पाठ्यक्रमों में शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव रखा, डॉ.विरेन्द्र चौधरी नें विभिन्न अंगीभूत और सम्बद्ध महाविद्यालयों में वोकेशनल पाठ्यक्रमों की पढाई प्रारम्भ करनें का प्रस्ताव रखा. प्रस्तुत प्रस्तावों पर सदस्यों द्वारा व्यापक चर्चा और विचार विमर्श और कुछ संशोधनों के साथ अधिसभा के सदस्यों नें स्वीकृति प्रदान किया. इससे पूर्व प्रश्नकाल के दौरान अधिसभा के सदस्य और मीनापुर के विधायक राजीव कुमार उर्फ़ मुन्ना यादव नें कर्पूरी ठाकुर के नाम पर भी चेयर स्थापित करने की मांग उठाई, जिसका सभी सदस्यों नें स्वागत किया. इसके साथ हीं श्री यादव नें विभिन्न 15 अंगीभूत महाविद्यालय में विभिन्न विषयों में मांगी गयी सम्बद्धता के प्रस्ताव को अधिसभा में प्रस्तुत नहीं करनें पर सवाल उठाते हुए इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज की, उन्होंने कहा की 15 अंगीभूत महाविद्यालयों द्वारा दिए गए आवेदन पर कुलपति द्वारा 09 मार्च को सम्बन्धन समिति की बैठक में पुनः 12 मार्च 2025 को आयोजित अकादमिक कौंसिल की बैठक में भी सभी अंगीभूत महाविद्यालयों का निरिक्षण दल गठित कर निरिक्षण प्रतिवेदन को सिंडिकेट में प्रस्तुत करनें का निर्देश दिया गया था. 05 और 07 अप्रैल को सम्पन्न सिंडिकेट की बैठक में क्यों नहीं उक्त प्रस्तावों को अनुमति प्रदान की गयी ? लगभग 01 माह पूर्व सम्बन्धन समिति की बैठक में हुए निर्णय के आलोक में क्यों नहीं निरिक्षण दल गठित कर निरिक्षण प्रतिवेदन को सिंडिकेट में प्रस्तुत किया गया??? निजी महाविद्यालयों को सम्बद्धता देनें के लिए जो प्रतिबद्धता, तत्परता और समर्पण भाव विश्वविद्यालय के अधिकारीयों नें दिखाई वैसा अपनें अंगीभूत महाविद्यालयों के प्रति क्यों नहीं दिखाई गयी. इस पर कुलपति और कुलानुशासक नें आश्वस्त किया की अंगीभूत महाविद्यालयों के प्रस्ताव को भी सरकार को भेजकर वहां पढाई प्रारम्भ कराई जाएगी. प्रश्नकाल में अधिसभा के सदस्य डॉ.धर्मेन्द्र कुमार चौधरी, डॉ.उदय कुमार, डॉ.धनरंजन कुमार, डॉ.जयकांत सिंह, डॉ.शब्बीर अहमद, डॉ.भारत भूषण, डॉ.विनोद बैठा, डॉ.श्याम सुन्दर महतो, डॉ.रेनुबाला, डॉ.प्रमोद कुमार, डॉ.संजय कुमार सुमन डॉ. विजयेन्द्र झा और डॉ साजदा अंजुम द्वारा पूछे गए प्रश्नों का विश्वविद्यालय द्वारा जबाब दिया गया. इसके अलावा विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और अकादमिक गतिविधियों, परीक्षा और सत्र से जुड़े हुए विषयों, छात्र-छात्राओं की फीस, छात्रवास, आदि विषयों पर गंभीरता से चर्चा की गई तथा समुचित समाधान खोजने का प्रयास किया गया। शिक्षकों का प्रमोशन, इनका नियमित वेतनमान आदि विषयों पर अधिसभा के सभी सदस्यों के बीच विचार विमर्श किया गया। अधिसभा की बैठक में पूर्व कुलपति डॉ.अशेश्वर यादव, विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह, नगर विधायक बिजेंद्र चौधरी, मीनापुर विधायक राजीव कुमार उर्फ़ मुन्ना यादव, गायघाट विधायक निरंजन राय, बोचहाँ विधायक अमर पासवान, डॉ.नरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ.सैयद आले जफ़र, डॉ.मधु सिंह,








डॉ.नलिन विलोचन, डॉ.सुबालाल पासवान, डॉ.लोकमान्य रविन्द्र प्रताप, सहित बड़ी संख्या में अधिसभा के सदस्य उपस्थित थें. अधिसभा की बैठक को सफल बनाने में डॉ. शर्तेंदु शेखर, धीरेन्द्र कुमार सिंह ‘मधु’, विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के सचिव गौरव, विकास मिश्रा, संजीव कुमार सिंह, रंजन कुमार, कुंदन कुमार, प्रभात कुमार, राजन कुमार सिंह, प्रिंस पाण्डेय नें अहम् भूमिका निभाई.