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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् द्वारा प्रायोजित ” योग : सिद्धांत और चिकित्सा ” विषय पर संगोष्ठी का विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग में हुआ आयोजन

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ” योग : सिद्धांत और चिकित्सा ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग किया गया।  संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने गीता की उक्ति ” कर्मों में कुशलता ही योग है” को अपने अपने कार्य क्षेत्र में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृत ज्ञान परंपरा और योग का एक दूसरे से अभिन्न संबंध बताया।  विशिष्ट अतिथि सह महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.सच्चिदानंद सिंह ने कहा कि योग से बिहार का गहरा संबंध रहा है।  बीज वक्तव्य  देते हुए प्रो. अरविंद कुमार राय अवकाश प्राप्त आचार्य एवं अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र एवं धर्म विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा कि सांख्य दर्शन ने समस्त प्रकृति त्रिविध दुःख के अधीन है कहकर दुःख की प्रकृति पर तो प्रकाश डाला पर दुःख का निदान कैसे संभव है, यह योग दर्शन ही बतलाता है। योग के अनुसार चित्त वृत्तियों का निरोध ही दुख-निरोध है, जिसके लिए समस्त मानव जगत प्रयत्नशील है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग, द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया गया। स्मारिका के  संपादक प्रो.सरोज कुमार वर्मा, विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग ने स्मारिका के प्रकाशन के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम में आगत अतिथियों का स्वागत विभाग की अध्यक्षा प्रो.लक्ष्मी कुमारी साह ने किया। संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो.राजेश्वर सिंह ने प्रतिपाद्य आयोजन के बारे में बताया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो.राजीव कुमार, दर्शनशास्त्र विभाग ने किया और मंच संचालन प्रो.राजेश्वर सिंह,डॉ रेणु बाला तथा डॉ.पयोली ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद दो अकादमी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ.रमण सिंह और डॉ.भारत भूषण ने अपने विचार रखे। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो.ए.के राय तथा संयोजक डॉ.संजय कुमार ने किया। दूसरे अकादमी सत्र की अध्यक्षता प्रो.लक्ष्मी कुमारी साह ने किया तथा इसके संयोजक प्रो.सरोज कुमार वर्मा थे। इस सत्र में प्रो.अवतारलाल मीणा, प्रो.किस्मत कुमार सिंह तथा डॉ.वरुण कुमार त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किये। सेमिनार में देश भर के रिसोर्स पर्सन जुड़े। जिनमें जोधपुर से प्रो.अवतार लाल मीणा, वर्धा से प्रो.जयंत उपाध्याय, जम्मू कश्मीर से मनोदैहिक चिकित्सक डॉ.भारत भूषण गुप्ता , आरा से प्रो. किस्मत कुमार, मधेपुरा से प्रो.सुधांशु शेखर सहित लगभग 200 से अधिक लोग शामिल हुए। अवसर पर संध्या में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसमें आकांक्षा कुमारी, अंजली कुमारी, रत्ना कुमारी, समीक्षा कुमारी, बरखा कुमारी, आस्था कुमारी, खुशबू कुमारी, ऋषिका पोद्दार, साक्षी कुमारी, प्रणव प्रताप आर्य, शाश्वत श्याम, छोटू कुमार, राजा कुमार, अभिषेक कुमार और कृष्णा कुमार ने भाग लिया.

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